-मनोज अग्रवाल-
अपनी खोयी जनाधार में फिर से जान फूंकने के लिए राहुल गांधी एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. भूमि अधिग्रहण बिल को मुद्दा बनाकर कांग्रेस व राहुल गांधी जनता विशेषकर किसानों के बीच अपनी पहुंच बनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं. हाल ही में किसान रैली के बाद अब वह किसानों के लिए किसान पद यात्रा निकालेंगे. यह रैली कहां से शुरु होगा और किस-किस राज्य का वह दौरा करेंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन यह तय है कि यह वैसे जगह जरुर जाएंगे जहां पर किसानों की समस्या अधिक विकराल है और जहां किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं हुई है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ऐतिहासिक चिकमगलूर उपचुनावों के साथ किसानों के मुद्दे पर आंदोलन शुरु किया था, जिसके साथ कांग्रेस की वापसी शुरु हुई थी. राहुल गांधी ने वर्ष 2011 में उत्तरप्रदेश के भट्टा परसौल में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन शुरु किया था, जिसके बाद वर्ष 2013 में संप्रग का भूमि विधेयक पारित हो गया था. संभवतः कुछ इस तरह की सोंच को लेकर कांग्रेस यह योजना बना रही है कि किसानों के मुद्दे पर शायद कांग्रेस की खोयी प्रतिष्ठा वापस मिल जाए.
इंदिरा गांधी व राजीव गांधी ने भी किया था किसान पद यात्रा
वर्ष 1977 और 1989 में जब कांग्रेस मुश्किल स्थिति में थी, तब राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी ने भी उस समय ऐसे ही जनसंपर्क कार्यक्रम शुरु किए थे और इससे अच्छे परिणाम मिले थे. पार्टी को उम्मीद है कि यह पदयात्रा एकबार फिर लोगों को जोडने में सफल होगी.
कहां-कहां हो सकती है पदयात्रा
ऐसा माना जा रहा है कि पदयात्रा की शुरुआत महाराष्ट्र के विदर्भ से या तेलंगाना के मेडक समेत किसी अन्य जिले से भी हो सकती है. ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जो किसानों की आत्महत्याओं की खबरों के कारण सुर्खियों में रहे हैं. राहुल गांधी उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और तेलंगाना के विभिन्न जिलों में संकट से जूझ रहे किसानों से मिलेंगे. राहुल गांधी उत्तरप्रदेश में बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश की यात्रा भी कर सकते हैं.
किसान पदयात्रा ही क्यों
राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर अभी किसानों से अपना समर्थन हासिल करने की कोशिश में लगे हुए हैं. देश में करीब 60 फीसदी आबादी किसानों की है ऐसे में किसानों का समर्थन राहुल गांधी व कांग्रेस के लिए जनाधार को वापस लाने में बडा मददगार साबित हो सकता है.
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने हाल ही में 59 दिनों की छुट्टी के बाद जब सदन को संबोधित किया था तो उन्होंने मोदी सरकार को यह सलाह दे डाले थे कि मोदी देश की 60 फीसदी जनता को लूज कर रहे हैं. देश की करीब 60 फीसदी जनता किसान है इसलिए मोदी जी उद्योगपतियों और अन्य मिलाकर अर्थात 40 प्रतिशत को छोडकर इधर आ जाएंगे तो उन्हें फायदा होगा.
भूमि अधिग्रहण बिल के रुप में एक बडा हथियार
कांग्रेस को अभी भूमि अधिग्रहण बिल के रुप में भाजपा के खिलाफ एक बडा हथियार मिल गया है. कांग्रेस अच्छी तरह जान रही है कि यह एक ऐसा अवसर है जब वह किसानों के बीच अपने आधार को विस्तार दे सकती है.
जो भी हो पहले के इतिहास और अनुभव के नक्शे कदम पर चलते हुए राहुल गांधी ने किसानों का दामन थामा है लेकिन किसानों के समर्थन में किये जाने वाले इस पदयात्रा से उसे किसानों का कितना समर्थन मिल पाएगा यह आने वाले समय में पता चल पाएगा.