नयी दिल्ली : ए के एंटनी के नेतृत्व में एआईसीसी के चार पर्यवेक्षकों का एक दल कल कर्नाटक जायेगा और मुख्यमंत्री के मुद्दे को तय करने के लिए पार्टी विधायकों से विचार विमर्श करेगा.
कर्नाटक में कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है. विधानसभा चुनावों में सात साल के अंतराल के बाद उसने अपने दम पर सत्ता हासिल कर दक्षिण भारत के इस राज्य को भाजपा से छीन लिया है.
कर्नाटक में कांग्रेस को बहुमत तो मिल गया है किन्तु सीएम पद के लिए वहां कम से कम तीन उम्मीदवारों के बीच जंग है. इनमें से एक हैं मौजूदा विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्दारमैया. सिद्दारमैया के अलावा कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख जी परमेश्वरा और केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे भी सीएम पद के तगड़े दावेदार हैं. सिद्दारमैया कर्नाटक में पिछड़े समाज के नेता हैं. वहीं केंद्रीय श्रम मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कांग्रेस की जीत होने के बाद कहा कि अगर उन्हें सीएम बनने के लिए कहा जाए तो वे इसके लिए तैयार हैं.
घोटालों के कारण परेशान भाजपा की स्थिति का फायदा उठाते हुए कांग्रेस दक्षिण भारत के अपने इस पुराने गढ़ में 121 सीटें अपने कब्जे में करके कर्नाटक में अपना दम दिखाया है.
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224 सदस्यीय विधानसभा में यह आंकड़ा सरकार बनाने के लिए जरुरी 113 सीटों के बहुमत से आठ अधिक है. दूसरे स्थान के लिए भाजपा और जद(एस) के बीच कांटे की टक्कर रही दोनों को 40-40 सीटें मिली हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा का पार्टी छोड़ कर जाना और दक्षिण में भाजपा की पहली सरकार के कार्यकाल में हुआ कथित भ्रष्टाचार सत्तारुढ़ दल की हार के मुख्य कारण रहे.
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में विभिन्न दलों की ताजा स्थिति
-कुल स्थान 224
-चुनाव हुए 223
दल | आगे | जीते |
कांग्रेस | 0 | 121 |
भाजपा | 0 | 40 |
जद एस | 0 | 40 |
केजेपी | 0 | 6 |
अन्य | 0 | 16 |
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येदियुरप्पा शिकारीपुरा सीट से 15,000 से अधिक मतों से चुनाव जीत गए हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (एस) की राज्य इकाई के अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी रामनगर विधानसभा सीट से 25,000 से अधिक मतों से जीत गए.
कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री और भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष के एस ईश्वरप्पा शिमोगा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए और तीसरे स्थान पर रहे. पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने इस दक्षिणी राज्य में अपने दम पर सरकार बनाई थी. यह दक्षिण भारत के किसी राज्य में भाजपा की पहली सरकार थी. तब भाजपा को 110 सीटें, कांग्रेस को 80 सीटें और जद(एस) को 28 सीटें मिली थीं.
कुल 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 113 सीटें जरुरी होंगी. मतदान 223 सीटों पर हुआ क्योंकि मैसूर जिले की पेरियापटना विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार की मौत के चलते मतदान की तारीख बढ़ा दी गई है. वहां 28 मई को मतदान होगा. केजेपी ने कई विधानसभा सीटों पर भाजपा के मतों में सेंध लगाई जिससे सत्तारुढ़ दल को नुकसान हुआ है.