नयी दिल्ली : बहुचर्चित 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में दो सदस्यों को नियुक्त किए जाने के मुद्दे पर विपक्षी भाजपा और अन्नाद्रमुक ने कड़ा विरोध जताते हुए आज कहा कि संसदीय समिति में इस तरह नियुक्ति करके सरकार गलत उदाहरण पेश कर रही है.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अब तक जेपीसी में सदस्यों की संख्या के आधार पर राजनीतिक दलों को प्रतिनिधित्व मिलता रहा है. उन्होंने कहा कि इस बार ऐसा नहीं हुआ. उनका इशारा सदन में कल पारित किए गए एक प्रस्ताव की ओर था. इस प्रस्ताव के जरिये कांग्रेस के पी भट्टाचार्य और मनोनीत सदस्य अशोक एस गांगुली को जेपीसी का सदस्य नियुक्त किया गया है.
जेटली ने सभापति हामिद अंसारी से कहा कि वह व्यवस्था दें कि क्या यह चुनाव सही था. ‘‘संसदीय समितियों में रिक्तियां भरने का यह तरीका नहीं है.’’ कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा कि वह जेटली की इस दलील से सहमत हैं कि राजनीतिक दलों को सदस्यों की संख्या के आधार पर संसदीय समितियों में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए.
चतुर्वेदी ने हालांकि कहा, चूंकि दोनों सीटें संप्रग के पास थीं इसलिए दोनों सीटों पर सत्ता पक्ष ने नियुक्तियां की हैं. उन्होंने कहा ‘‘यह गलत तब होता जब सत्ता पक्ष विपक्ष की सीटों को हथियाता. उस स्थिति में यह कहा जा सकता था कि विपक्ष के अधिकारों का हनन हुआ. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. दोनों ही सीटें संप्रग के पास थीं इसलिए सदन में पारित प्रस्ताव की भावना के अनुरुप नए सदस्यों की नियुक्ति की गई है.’’ जेपीसी में दो रिक्तियों का कारण द्रमुक के तिरुचि शिवा का कार्यकाल समाप्त होना और कांग्रेस के सदस्य ईएमएस सुदर्शन नचिअप्पन का कैबिनेट में मंत्री बनने के बाद इस्तीफा देना था.