नयी दिल्ली: पचास वर्षीय व्यक्ति के लिए बिजली की चोरी करना इतना महंगा साबित हुआ कि दिल्ली की एक अदालत ने उसे दो साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाने के साथ ही उस पर 81 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.अदालत ने सजा सुनाने के साथ टिप्पणी की कि इस तरह के मामलों में ऐसी सजा देने की जरुरत है जो दूसरों के लिए उदाहरण का काम करे.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार गुप्ता ने दिल्ली निवासी किशन बादगुजार को बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड की शिकायत पर बिजली चोरी का दोषी पाया. बिजली वितरण कंपनी ने शिकायत में कहा था कि आरोपी ने औद्योगिक उददेश्यों के लिए 53 लाख रुपये से अधिक की बिजली चोरी की.
अदालत से कहा कि दोषी :किशन: ने बिजली का अंधाधुंध उपयोग किया क्योंकि उसे पता था कि उसे उपयोग के लिए भुगतान नहीं करना पड़ेगा. इस तरह के दोषियों के मन में यह बात आनी चाहिए कि उन्हें ऐसा करने पर दोषसिद्धि तथा जेल की सजा सहित गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. अदालत ने कहा कि इन मामलों में ऐसी सजा दी जानी चाहिए जो दूसरों के लिये उदाहरण का काम करे और बिजली चोरी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाने वाला मामला बनाया जाए. इसलिए किशन किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है.
बीएसईएस के एक दल ने 17 मार्च 2007 को पश्चिम दिल्ली में किशन के परिसरों का निरीक्षण किया था और दल ने पाया कि बीएसईएस की मुख्य सेवा लाइन की टैपिंग करके बिजली चोरी की गयी है. आरोपी वहां किरायेदार के तौर पर रहता था.