नयी दिल्ली : संसद में विधेयकों को पारित कराने में सहयोग के लिए कड़ी शर्त रखते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने आज कहा कि वह तब तक किसी विधेयक को पारित नहीं होने देगी जब तक रेल मंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्विनी कुमार इस्तीफा नहीं दे देते या उन्हें हटाया नहीं जाता.
भाजपा ने यह भी स्पष्ट किया कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित नहीं होने देगी. वरिष्ठ पार्टी नेता लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में फैसला लिया गया कि पार्टी नेता हंगामे में विधेयक पारित कराने के सरकार के किसी भी कदम के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे.
लोकसभा में भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा, जब तक दोनों मंत्री–बंसल और कुमार इस्तीफा नहीं दे देते या उन्हें हटाया नहीं जाता, तब तक संसद की कार्यवाही में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता. हम चाहते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक को उचित चर्चा के बाद पारित कराया जाए.
हम हंगामे के बीच बिना चर्चा के जल्दीबाजी में विधेयक पारित नहीं होने देंगे. बंसल रेलवे बोर्ड की अहम नियुक्तियों में रिश्वतखोरी के सिलसिले में सीबीआई द्वारा उनके भांजे की गिरफ्तारी के बाद विवादों में घिर गये हैं वहीं कुमार के इस्तीफे की मांग कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े विवाद के चलते की जा रही है. जब मुंडे से पूछा गया कि क्या सरकार ने हंगामे के बीच महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने की कोशिश की जैसा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के संबंध में कल किया गया था, इस पर भाजपा सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी ऐसा नहीं होने देगी और इस तरह के कदम के खिलाफ स्पीकर से मुलाकात करेगी.
उन्होंने कहा, सरकार ने कल लोकसभा में हंगामे के बीच खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित करने का प्रयास किया. हमने भाजपा संसदीय दल की बैठक में इस विषय पर चर्चा की और फैसला किया कि हम विधेयक पारित कराने के लिए तैयार हैं लेकिन उचित चर्चा के बाद ही. हम जल्दीबाजी में और हंगामे में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने की कोई भी कोशिश नहीं चलने देंगे. मुंडे ने कहा कि भाजपा बंसल और कुमार के इस्तीफे के मुद्दे पर अड़ी है.
उन्होंने कहा, अगर वे अपना इस्तीफा देते हैं या कांग्रेस उन्हें कैबिनेट से हटाती है, तभी हम संसद में दोनों विधेयकों को पारित करायेंगे. उन्होंने कहा, पूरा विपक्ष एक साथ है. अगर सरकार हंगामे में विधेयक पारित कराने की कोशिश करेगी तो हम लोकसभा अध्यक्ष से मिलेंगे और इस तरह के कदम के खिलाफ उनसे रास्ता निकालने का आग्रह करेंगे क्योंकि ऐसी कोई परंपरा नहीं है. अगर सरकार दादागीरी दिखाती है तो हम इसका विरोध करेंगे.