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आंध्रप्रदेश के विभाजन से कोई लाभ नहीं होगा: संबाशिव

हैदराबाद : आंध्रप्रदेश के विभाजन के मामले में कभी भी यू टर्न न लेने की बात कहते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री के संबाशिव राव ने आज कहा कि सिर्फ कुछ नेताओं के हितों की पूर्ति के लिए राज्य को विभाजित करने की कोई जरूरत नहीं थी. कांग्रेस कार्य समिति द्वारा 30 जुलाई को तेलंगाना राज्य […]

हैदराबाद : आंध्रप्रदेश के विभाजन के मामले में कभी भी यू टर्न न लेने की बात कहते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री के संबाशिव राव ने आज कहा कि सिर्फ कुछ नेताओं के हितों की पूर्ति के लिए राज्य को विभाजित करने की कोई जरूरत नहीं थी.

कांग्रेस कार्य समिति द्वारा 30 जुलाई को तेलंगाना राज्य के निर्माण की घोषणा के बाद पहली बार खुलकर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह विभाजन भविष्य में चीजों को जटिल बनाएगा और आंध्र-रायलसीमा से नौ केंद्रीय मंत्रियों ने आलाकमान के सामने यह बात स्पष्ट भी कर दी थी. उन्होंने कहा, हमने प्रस्तावित विभाजन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में आलाकमाल को स्पष्ट तौर पर बता दिया था ताकि जल्दी से जल्दी सही फैसला लिया जा सके.

ए के एंटनी की समिति का गठन (विभाजन के खिलाफ ) हमारी अपील पर ही किया गया था. कांग्रेस ने एंटनी के नेतृत्व में गैर-तेलंगाना क्षेत्र की समस्याओं के अध्ययन के लिए और राज्य के विभाजन का विरोध कर रहे पार्टी नेताओं से बातचीत करने के लिए एक पैनल का गठन किया है. राव ने कहा हमने चार साल तक इंतजार किया. कुछ और दिन तक इंतजार करने में कोई नुकसान नहीं है. हम चाहते थे कि आलाकमान हर शामिल पक्ष से चर्चा करने के बाद फैसला ले. आलाकमान द्वारा जो भी फैसला लिया जायेगा हम उसे स्वीकार करेंगे.

उन्होंने कहा, वैज्ञानिक और संसाधनों के आधार पर आंध्रप्रदेश एक समग्र राज्य है. 42 लोकसभा के सांसदों वाले राज्य के विभाजन से किस उद्देश्य की पूर्ति होगी? राज्य की प्रतिष्ठा तभी बढ़ेगी जब वह एकीकृत रहेगा. तटीय आंध्र के इलुरु से सांसद राव ने कहा कि उनका यह दृढ़ मत है कि छोटे राज्य देश के हित में नहीं होंगे. सिर्फ कुछ राजनेताओं के हितों की पूर्ति के लिए राज्य को बांटने की कोई जरूरत नहीं है.

उद्यमी से राजनेता बने राव ने कहा कि उन्होंने विभाजन के मसले पर कभी भी यू टर्न नहीं लिया. ऐसे आरोप मुझे पीड़ा पहुंचाते हैं. आंध्रप्रदेश के विभाजन के समर्थकों और विरोधियों के बीच लड़ाई का विषय बने हुए हैदराबाद के संदर्भ में राव ने कहा कि कई सालों में जितना भी विकास हुआ है वह सिर्फ राजधानी में या उसके आसपास ही हुआ है.

लोग बाहर के इलाकों में स्थित अपनी संपत्तियों को बेचकर हैदराबाद में बस गए. अब जब उन्हें यह भावना आती है कि हैदराबाद उनका रहा ही नहीं, तो सभी को इससे पीड़ा पहुंचती है.

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