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भूमि अधिग्रहण पर महाभारत : सरकार का संकटमोचक बने राजनाथ सिंह, किसान नेताओं से की बात

नयी दिल्ली : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की जटिलता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बुरी तरह उलझ गयी है. इस मुद्दे पर उस पर घरेलू व बाहरी दोनों मोर्चे से सरकार पर करारा हमला हो रहा है. कांग्रेस, आरएसएस व सामाजिक संगठनों को इसके प्रावधानों पर आपत्ति है. संकट की इस घड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री […]

नयी दिल्ली : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की जटिलता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बुरी तरह उलझ गयी है. इस मुद्दे पर उस पर घरेलू व बाहरी दोनों मोर्चे से सरकार पर करारा हमला हो रहा है. कांग्रेस, आरएसएस व सामाजिक संगठनों को इसके प्रावधानों पर आपत्ति है. संकट की इस घड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सरकार के संकट मोचक बन कर सामने आये हैं. उन्होंने आज किसानों नेताओं के एक तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से विस्तृत बात की है और उनके पक्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया है. आज शाम साढ़े छह बजे इस मुद्दे पर राजनाथ के आवास पर भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक भी होगी, जिसमें पार्टी के आला नेता इस मुद्दे का हल तलाशेंगे.
सरकार पहले ही यह संकेत दे चुकी है कि वह इस मुद्दे पर अपना रुख नरम करेगी. नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे इस मुद्दे पर आज एकता परिषद के बैनर तले जंतर मंतर पर बैठ चुके हैं. एकता परिषद पीवी राजगोपाल की संस्था है, जिसके देश भर में लाखों कार्यकर्ता-समर्थक हैं. अगर इन कार्यकर्ताओं-समर्थकों का अन्ना के आंदोलन को समर्थन मिला तो यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है.
सूत्रों के अनुसार, राजनाथ सिंह ने किसान नेताओं को आश्वस्त किया है कि वे उनकी चिंताओं और आपत्तियों पर प्रधानमंत्री व सरकार का ध्यान आकृष्ट करायेंगे और इस पूरे मामले में एक सर्वमान्य हल निकाल लिया जायेगा. संभवत: सरकार गरीबों व भूमिहीनों को भूमि देने के लिए राष्ट्रीय भूमि सुधार कोष इस तरह की कोई संस्था बनायेगी. साथ ही राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद में बदलाव पर भी सरकार नयी परिस्थिति में विचार कर रही है. इसका जल्द ही सरकार पुनर्गठन कर सकती है.
अन्ना हजारे ने भूमि अधिग्रहण के लिए 70 प्रतिशत किसानों की अनुमति के प्रावधान को हटाने के लिए सरकार की आलोचना की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार ने अध्यादेश में कहा है कि भूमि अधिग्रहण मामले में किसान पर अन्याय होने की स्थिति में उसे केस करने की अनुमति भी सरकार से लेनी होगी, जो गलत है. उन्होंने आज धरने पर बैठने से पहले कहा कि किसी भी हाल में कृषि व उर्वर भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि सरकार अगर रास्ते पर नहीं आयी तो वे फिर रामलीला मैदान में आंदोलन करेंगे.
उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन राष्ट्रव्यापी स्वरूप लेगा. उन्होंने जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दे दी है. उधर, आरएसएस की अनुषंगिक संस्था भारतीय किसान संघ के महासचिव प्रभाकर केलकर ने कहा है कि अगर मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश नहीं लेती है तो इसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया जायेगा.

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