नयी दिल्ली : चारा घोटाले में दोषी पाए गए लालू यादव की कोशिशों को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ झटका दे सकती है. जांच एजेंसी ने केस की सुनवाई कर रहे जज को बदलने की लालू यादव की मांग का विरोध करने का फैसला किया है. सीबीआइ के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट के लिए लालू को राहत देना आसान नहीं होगा. लालू ने जदयू नेता का रिश्तेदार होने का आरोप लगाते हुए जज की निष्पक्षता पर संदेह जताया है.
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जांच एजेंसी के पास लालू के आरोपों का विरोध करने के अलावा कोई चारा नहीं है. लालू ने यही याचिका पहले रांची हाई कोर्ट में लगाई थी, जिसका सीबीआइ ने विरोध किया था. सीबीआइ के विरोध के बाद हाई कोर्ट ने लालू की याचिका खारिज कर दी थी.’ सुप्रीम कोर्ट ने लालू की याचिका पर सीबीआइ और झारखंड सरकार से 23 जुलाई तक जवाब देने को कहा था. वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जांच एजेंसी ने दो हफ्ते पहले रांची हाई कोर्ट में जो कहा था, सुप्रीम कोर्ट में भी वही कहेगी, उसे बदलने का कोई आधार नहीं है.
दरअसल, चारा घोटाले की सुनवाई कर रहे सीबीआइ के विशेष जज ने लालू यादव से जुड़े मामले में 15 जुलाई को फैसला सुनाने की तारीख तय कर दी थी. सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सजा से आशंकित लालू अब जज पर बिहार के जदयू नेता का रिश्तेदार होने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, चारा घोटाले से जुड़े 56 मामलों में से 44 में फैसला आ चुका है और इनमें लगभग 400 आरोपियों को सजा हो चुकी है.
लेकिन, किसी भी आरोपी ने जज पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर फैसला सुनाने का आरोप नहीं लगाया है. खुद सीबीआइ भी जज के फैसलों से पूरी तरह संतुष्ट है. सीबीआइ को डर है कि 1996 में हुए घोटाले से जुड़े जज के बदले जाने से पूरे मामले की दोबारा सुनवाई होगी. जिसमें फिर 10-12 साल लग जाएंगे.