पुणे: विज्ञान एवं पर्यावरण :सीएसई: ने चेतावनी दी है कि पवन उर्जा उद्योग बड़े स्तर पर वन क्षेत्र का अधिग्रहण कर रहा है जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
सीएसई ने अपनी एक रिपोर्ट में अनिवार्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन :ईएआई: की जरुरत पर बल देते हुए कहा कि पिछले सात वर्षों में पवन उर्जा परियोजनाओं के लिए वन भूमि की मांग में बहुत अधिक इजाफा हुआ है. इसके लिए आवंटित कुल भूमि का 31 प्रतिशत महाराष्ट्र में है.
रिपोर्ट के अनुसार मैदानी इलाकों की तुलना में वन क्षेत्रों और पर्वतीय इलाकों में पवन परियोजनाएं स्थापित करने का जल संसाधन और पारिस्थितिकी पर अधिक असर पड़ता है.
मानव बस्ती के पास इन परियोजनाओं को स्थापित करने से ध्वनि प्रदूषण के कारण लोग परेशान हो सकते हैं. पवन टर्बाइन के पास वायु दाब बदलने के कारण चमगादड़ों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
रिपोर्ट में देश के विभिन्न हिस्सों में पवन परियोजनाओं के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में पवन उर्जा परियोजनाओं से बिजली बनाने समेत इसके लाभों को स्थानीय लोगों के साथ बांटने की सिफारिश की गई है.