नयी दिल्ली : विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने व्यापक अमेरिकी निगरानी कार्यक्रम का आज बचाव करते हुए कहा, ‘‘वास्तव में यह जासूसी नहीं है.’’ इस कार्यक्रम के तहत भारत पांचवां ऐसा बड़ा देश है जिसकी सबसे अधिक जासूसी की गयी है. आसियान की बैठकों में भाग लेने के लिए ब्रूनई गये खुर्शीद ने संवाददताओं से बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तविक संदेशों की समीक्षा या उन तक पहुंच बनाना नहीं है.
यह किये जाने वाले काल और भेजे जाने वाले ईमेल की पद्धतियों का कंप्यूटर विश्लेषण मात्र है. यह किसी के संदेश या वार्ता की विशेष सामग्री की खासतौर पर जासूसी करना नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस समीक्षा से उन्हें (अमेरिका का) मिलने वाली कुछ सूचना का वे विभिन्न देशों में गंभीर आतंकी हमले की रोकथाम के लिए इस्तेमाल करते हैं.’’ खुर्शीद की यह टिप्पणी उनके मंत्रालय द्वारा पूर्व में दिये गये बयान के ठीक विपरीत है. मंत्रालय ने निजता में किसी तरह के उल्लंघन को ‘‘अस्वीकार्य’’ करार दिया था.
सीआईए के पूर्व तकनीकी सहायक एडवर्ड स्नोडेन ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के खुफिया कार्यक्रम का खुलासा किया था. लीक किये गये दस्तावेज के अनुसार अमेरिकी खुफिया द्वारा सबसे ज्यादा निगरानी किये जाने वाले देशों में भारत का नाम पांचवे स्थान पर है. अमेरिका विश्व व्यापी इंटरनेट डाटा पर निगरानी रखने के लिए खुफिया डाटा माइनिंग कार्यक्रम चलाता है.
इस बीच स्नोडेन द्वारा मुहैया कराये गये दस्तावेजों का हवाला देते हुए गाजिर्यन अखबार ने सप्ताहांत में खबर दी थी कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी भारत सहित अपने मित्र देशों के 38 दूतावासों और राजनयिक मिशनों पर भी जासूसी कर रही है.