निर्मल भारत अभियान के तहत पिछले तीन सालों में करोड़ों रुपये की धनराशि का इस्तेमाल नहीं किए जाने पर संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार को कड़ी फटकार लगायी है. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रलय की वर्ष 2013-14 की अनुदान मांगों के संबंध में ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति ने आज लोकसभा में पेश की गयी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2010-11 , वर्ष 2011-12 और वर्ष 2012-13 में क्रमश: 1176.70 करोड़ रु , 1292.48 करोड़ रुपये तथा 1835.20 करोड़ रुपये की विशाल धनराशि का निर्धारित मदों में इस्तेमाल नही किया गया.
समिति ने यह भी पाया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम के तहत धनराशि का सदुपयोग नहीं किए जाने की समस्या मुख्य रुप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में है. इसी प्रकार निर्मल भारत अभियान के तहत आंध्र प्रदेश , बिहार , ओडिशा, महाराष्ट्र और झारखंड में भारी धनराशि बिना इस्तेमाल के ही पड़ी रही है. निर्मल भारत अभियान (निर्मल भारत) के उद्देश्यों को प्राप्त करने के मार्ग में आ रही मुख्य बाधाओं के संबंध में समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा भाग खुले में मल त्याग की प्रवृति को रोकने की आवश्यकता को लेकर आश्वस्त नही है और इसीलिए शौचालयों का निर्माण करना उन लोगों की भी प्राथमिकता नहीं है जो शौचालय बनाने की और इसके उपयोग की हैसियत रखते हैं.