गोचर : उत्तराखंड के बाढग्रस्त इलाकों में फंसे करीब 9000 लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से बाहर निकालने के कार्यों में आज फिर से तेजी आ गयी जबकि केदारनाथ से 127 और शव बरामद होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 822 हो गयी.टिहरी जिले में भूस्खलन की ताजा घटनाएं हुई हैं जिनमें एक महिला और एक एक बच्चे की मौत हो गयी.देहरादून में सुबह कोहरे और बादल छाये रहने के कारण सहस्त्रधारा हेलीपैड और जॉली ग्रांट हवाईअड्डे से हेलीकॉप्टरों की उड़ान में देरी हो गयी थी लेकिन मौसम में सुधार होते ही हवाई बचाव अभियानों में फिर से तेजी आ गयी है.
अधिकारियों ने बताया कि चार हेलीकॉप्टरों ने आज बद्रीनाथ के लिए उड़ान भरी और 60 लोगों को बाहर निकाला.आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केदारनाथ इलाके में कल से अब तक 127 और शवों को बरामद किया गया है. मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और बिजनौर समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में गंगा में बहकर आए कम से कम 15 शव मिले हैं. इसके साथ ही त्रासदी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 822 हो गयी है.केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पटना में कहा कि उन्होंने उत्तराखंड सरकार से बाढग्रस्त इलाके में किसी भी वीआईपी को आने की मंजूरी नहीं देने को कहा है ताकि राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो.
शिंदे ने कहा कि उत्तराखंड में स्थिति सुधर रही है और राहत कार्य तेजी से किया जा रहा है. कई श्रद्धालुओं को केदारनाथ और बद्रीनाथ से बाहर निकाल लिया गया है. बाढग्रस्त इलाकों में फंसे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने के कार्य में 37 हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं.महामारी फैसले की आशंका के मद्देनजर केदारनाथ में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.यहां राज्य पुलिस मुख्यालयों के सूत्रों ने कहा कि केदारनाथ में देवदार की सूखी लकडि़यां और घी से भरे ट्रक भेजे गए हैं और शवों की पहचान करने, पोस्टमार्टम करने और डीएनए संरक्षित रखने की औपचारिकताओं के बाद उनका सामूहिक अंतिम संस्कार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
राज्य सरकार ने डीआईजी पुलिस मुख्यालय संजय गुंजयाल और गढ़वाल क्षेत्र के डीआईजी अमित सिन्हा को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि केदारनाथ में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आज शुरु किया जाना सुनिश्चित किया जाये जो बारिश के कारण कल शुरु नहीं हो पायी थी.पुलिस सूत्रों ने बताया कि शवों का पोस्टमार्टम करने और उनके डीएनए संरक्षित रखने के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का 42 सदस्यीय दल कल ही केदारनाथ रवाना हो गया था.बद्रीनाथ में सुबह बचाव कार्य बाधित होने के मद्देनजर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने वहां फंसे लोगों के संबंधियों से धैर्य रखने की अपील करते हुए कहा कि फंसे हुए लोगों के पास भोजन और दवाइयों की उचित मात्रा है और वे सुरक्षित हैं.इस बीच अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ और आसपास के इलाकों में तलाशी एवं राहत अभियान लगभग पूरा हो गया है.
सेना को कोई अन्य जीवित व्यक्ति नहीं मिला है और रक्षा एवं अर्द्धसैन्य बल के जवान अब अपना तलाशी एवं राहत कार्य समेट रहे हैं.
रुद्रप्रयाग जिले में बचाव अभियानों के नोडल अधिकारी रविनाथ रमन ने कल गुप्तकाशी में कहा, केदारनाथ के आस पास के जंगलों में अब कोई जीवित व्यक्ति नहीं मिल रहा है. सभी जीवितों को बाहर निकाल लिया गया है.बाढ़ग्रस्त उत्तराखंड के उपरी इलाकों में बचाव कार्यों के लंबा खिंचने के मद्देनजर आईटीबीपी ने दिन रात राहत कार्य करने के कारण थक चुके अपने जवानों को वापस बुलाने और उनके स्थान पर अपनी सेना की नयी टुकडि़यां यहां भेजने का निर्णय लिया है.सूत्रों के अनुसार भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, हर्षिल और गौरीकुंड इलाकों से करीब 45 जवानों को वापस बुलाकर उनके स्थान पर इतने ही अन्य जवान तैनात करने का निर्णय लिया है.
केदारनाथ : अंतिम संस्कार के लिए बड़ा अभियान शुरू
वायु सेना, सेना और उत्तराखंड प्रशासन ने केदारनाथ घाटी में आयी प्राकृतिक आपदा में मरे लोगों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और ईंधन जैसे सामान भेजने के लिए बड़ा अभियान आज शुरु कर दिया.
राहत और बचाव अभियान चला रही एजेंसियां बीमारियों के आसन्न प्रसार और मंदिर नगरी क्षेत्र में शवों के सड़ने को लेकर चिंतित हैं क्योंकि इस त्रासदी को हुए नौ दिन हो गये हैं.
लेकिन घने बादल और बारिश वाला मौसम सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि एमआई-17 जैसे बड़े हेलिकॉप्टर यमुनोत्री के ठीक नीचे केदारनाथ घाटी हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने में सक्षम नहीं हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने के अनुरोध पर कहा, सारे प्रयास केदारनाथ में आज अंतिम संस्कार शुरु करने को निर्देशित हैं. हेलिकॉप्टरों के क्षेत्र में प्रवेश करने पर हम अंतिम संस्कार के लिए सामग्रियां गिरायेंगे. वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मौसम का पता लगाने वाले विमान भेजे जा रहे हैं.
केदारनाथ के लिए अभियानों का नियंत्रण यहां स्थित हेलिपैड से किया जा रहा है क्योंकि वायु सेना ने लकड़ी, ईंधन, घी, लकड़ी का तख्ता, रस्सियां और अन्य वस्तुएं केदारनाथ पहुंचाने के लिए तीन एमआई-17 तैयार कर रखे हैं.
लकड़ी के लट्ठों से भरे ट्रक यहां सड़क पर खड़े हैं.एएलएच सारंग हेलिकॉप्टर केदारनाथ घाटी पहुंचने वाले हैं.सैन्य उड्डयन ने भी छोटी उड़ान और क्लीयरेंस और खाद्य सामग्रियों को गिराने के लिए इलाके की जांच पड़ताल करने के लिए अपनी तरफ से चीता को तैयार रखा है.
राज्य सरकार के एक अन्य अधिकारी ने कहा, योजना केदारनाथ में अंतिम संस्कार के लिए साजो-सामान गिराना है. कार्य शुरु करने के लिए जमीन पर हमारे पास आईटीबीपी, एनडीआरएफ और राज्य के अधिकारी हैं. लेकिन सबकुछ मौसम के अनुसार तय किया जाएगा कि क्या हेलिकॉप्टर सामान गिराने में सक्षम हैं. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने भी केदारनाथ में अभियान में लगी एजेंसियों और किसी भी फंसे हुए व्यक्ति के लिए खाद्य वस्तुएं, पानी और दवाएं एक एमआई-17 में भर रखी हैं.
हवाई अभियानों की निगरानी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, केदारनाथ घाटी कमोबेश फंसे हुए लोगों से खाली करा ली गई है. हमें सिर्फ मृत लोगों का सम्मान सुनिश्चित करने की जरुरत है. सबके लिए समय निकलता जा रहा है.
केदारनाथ में तलाशी और बचाव अभियान पूरा
बाढ़ पीडि़त केदारनाथ और आस पास के इलाकों में तलाशी एवं राहत अभियान लगभग पूरा हो गया है. सेना को कोई अन्य जीवित व्यक्ति नहीं मिला है और रक्षा एवं अर्द्धसैन्य बल के जवान अब अपना तलाशी एवं राहत कार्य समेट रहे हैं.
रद्रप्रयाग जिले में बचाव अभियानों के नोडल अधिकारी रविनाथ रमन ने कल गुप्तकाशी में कहा, केदारनाथ के आस पास के जंगलों में अब कोई जीवित व्यक्ति नहीं मिल रहा है. सभी जीवितों को बाहर निकाल लिया गया है. एनडीआरएफ के अधिकारी ने कहा, हमारे दल रामबाड़ा , गौरीकुंड और केदारनाथ में भी थे लेकिन वे रात तक लौट आयेंगे. सेना और अर्द्धसैन्य बल के जवानों ने जंगल की बारीकी से तलाशी ली है. अब वहां और लोग नहीं है. सभी जीवित व्यक्तियों को निकाल लिया गया है.
शवों के गलने और सड़ने के कारण बदबू आ रही है जिसकी वजह से एनडीआरएफ के कुछ जवानों ने मास्क से अपने मुंह ढंके हुए हैं. रमन ने कल संवाददाताओं से कहा, शव इतने अधिक सड़ और गल चुके हैं कि उन्हें हटाया नहीं जा सकता. हमें उनका वहीं पर दाह संस्कार करना होगा जहां वह मिले हैं. उन्होंने कहा, लेकिन बारिश इस कार्य को मुश्किल बना देगी. आगामी दिनों में भारी बारिश होने की संभावना है. रमन ने बताया कि सोमवार तक मिले शवों के अनुसार मृतकों की संख्या 1000 थी. केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दिल्ली में कहा कि शवों की संख्या अधिक हो सकती है.
इलाके में बारिश की चेतावनी के मद्देनजर सोमवार सुबह से बचाव अभियान तेज कर दिया गया है. सुबह भारी बारिश के कारण सोन प्रयाग जाने वाला रास्ता बंद हो गया था जिसे तेजी से साफ किया गया ताकि बचाव कार्य तेजी से चलाया जा सके. गुप्तकाशी में स्थानीय लोगों द्वारा संचालित की जा रही समन्वय समिति तीर्थयात्रियों और लापता लोगों के संबंधियों को जल्द से जल्द वहां से जाने की अपील कर रही है.
एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने कहा कि अब शवों पर कीटनाशक छिड़कने का काम बचा है. लापता लोगों के मिलने की उम्मीद अब कम ही है. उन्होंने कहा, बादल फटे हुए एक सप्ताह से अधिक समय हो गया है. जो लोग बाहर नहीं निकाले गए हैं या जिन्हें स्थानीय लोगों ने शरण नहीं दी है, उनका बिना भोजन और पानी के बचना बहुत मुश्किल है. इन जंगलों में गर्म कपड़ों और शरण के बिना एक रात बिताना भी घातक साबित हो सकता है.
उत्तराखंड में फिर बादल फटने की घटनाएं
उत्तराखंड में फिर बादल फटने की खबरें आ रहीं हैं. जिसके कारण वहां बारिश जारी है. बारिश के कारण वहां होने वाला सामूहिक अंतिम संस्कार टल गया है.
सोमवार को खराब मौसम के चलते जैसे राहत कार्य में बाधा आयी ठीक उसी तरह प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां होने के बावजूद मृतकों का दाह संस्कार नहीं हो पाया. सरकार ने नगर निगम की मदद से मृतकों के सामूहिक अंतिम संस्कार के लिए 50 टन लकड़ी और कई क्विंटल घी का इंतजाम किया है.
बचाव अभियान के बीच आठ दिन बाद अब मृतकों का पूरी रीति रिवाजों के साथ दाह संस्कार करना सेना के लिए एक बड़ी चुनौती है. सूत्र बताते हैं कि मृतकों के दाह संस्कार को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. केदारनाथ मंदिर से जुड़े धार्मिक लोग कह रहे हैं कि मंदिर के आस-पास दाह संस्कार करने से मंदिर परिसर गंदा हो जाएगा. लेकिन प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दाह संस्कार पूरे रीति रिवाजों के साथ किया जाएगा. इस बीच, उत्तराखंड में पौड़ी जिले के पैठानी में बादल फटने की खबरें आ रही हैं.
इधर, उत्तराखंड में मौसम सेना की परीक्षा लेने में उतारु है. सोमवार को भी उत्तराखंड के कई इलाकों में जमकर बारिश हुई. यह बारिश आज भी जारी है. बारिश ने राहत-बचाव अभियान की रफ्तार को धीमी कर दी. मौसम से मिली मायूसी के बीच लगातार दूसरे दिन बचाव और राहत में जुटी सेना और अर्द्धसैनिक बल फंसे यात्रियों को पैदल मागरें से सुरक्षित निकालने में जुटे रहे.
साथ ही केदारनाथ-गौरीकुंड क्षेत्र में फंसे कई लोग पैदल ही सोनप्रयाग होते हुए गुप्तकाशी पहुंच रहे हैं. मौसम विभाग ने चमोली और उत्तरकाशी जिलों में मध्यम से भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है. सेना ने केदारनाथ के बाद अब हर्षिल और धराषु में राहत कार्य चलाएगी.गौरतलब है कि केदारनाथ में सेना, नेशनल डिजास्टर रिस्पांस (एनडीआरएफ) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के जवानों ने गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलों में कांबिंग शुरू कर दी है.