मुंबई : बलात्कार की एक पीडि़त के बयान पर, उसके आचरण के कारण भरोसा न करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और 56 वर्षीय दोषी को बरी कर दिया.
निचली अदालत ने महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के रहने वाले रामदास राहाते को दो साल पहले जेल भेज दिया था. बलात्कार पीडि़त का आरोप था कि आरोपी ने लगातार दो दिन तक उसे पशुओं के बाड़े में बंद रखा और बलात्कार किया था.
उच्च न्यायालय ने कहा कि सबूतों से लगता है कि पीडि़ता खुद स्वेच्छा से 48 घंटे से अधिक समय तक वहां रही और तीसरे दिन वहां से भागी थी, हालांकि वह इस तरह पहले ही भाग सकती थी.
न्यायाधीश एम एल ताहिलयानी ने कहा बलात्कार पीडि़त के आचरण के कारण उसके बयान पर भरोसा नहीं हो रहा है. हालांकि बलात्कार के अपराध में पीडि़त की गवाही के आधार पर दोषी ठहराया जा सकता है लेकिन इस तरह के मामले में पीडि़त का आचरण भी महत्वपूर्ण होता है और अदालत को ऐसे मामलों में सबूतों की जांच करते समय बहुत सतर्क रहना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान तीन अहम गवाहों के बयान और पीडि़त के आचरण के कारण अभियोजन पक्ष का मामला अत्यंत संदेहजनक बन गया.
उच्च न्यायालय ने राहाते को बलात्कार, आपराधिक धमकी, गलत तरीके से बंद कर रखने और चोट पहुंचाने के आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि अगर कोई और मामले में राहाते की जरुरत न हो तो उसे तत्काल जेल से रिहा कर दिया जाये.