नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई प्रमुख को आदेश दिया कि वह छह मई तक इस बात का स्पष्टीकरण दें कि आठ मार्च की स्थिति रिपोर्ट में इसका खुलासा क्यों नहीं किया गया था कि मसौदा रिपोर्ट सरकार के साथ साझा की गयी है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज कोयला आवंटन मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीबीआई पर राजनीतिक आकाओं का दबाव है, जो अनुचित है. कोर्ट ने आज केंद्र सरकार की खूब खिंचाई की.उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकार के साथ सूचना साझा किए जाने ने पूरी प्रक्रिया को गड़बड़ा दिया है. कोर्ट ने सवाल किया कि सरकार के साथ जांच रिपोर्ट को साझा करने में अदालत को अंधेरे में क्यों रखा गया.उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हमारा पहला काम सीबीआई को राजनीतिक दखल से मुक्त कराना होगा. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की स्वतंत्र स्थिति बहाल होनी चाहिए. कोयला घोटाले में फंसी यूपीए सरकार के सामने आज नई मुसीबत खड़ी हो सकती है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि जांच एजेंसी की ओर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने से पहले उसे कानून मंत्री, कोयला मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से साझा करना सही है या गलत. सुप्रीम कोर्ट को सीबीआई ने बताया था कि जांच रिपोर्ट में बदलाव किए गए थे और दो स्तर पर रिपोर्ट बदली गई थी.
कोयला खान आवंटन में कथित अनियमिततओं की जांच कर रही जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार को एक हलफनामे के साथ स्थिति रिपोर्ट सौंप दी है जिसमें किए गए बदलावों की जानकारी भी दी गई है.
हालांकि, उन्होंने सीबीआई द्वारा सौंपी गई दूसरी स्थिति रिपोर्ट के बारे में ब्यौरा देने से मना किया. जांच एजेंसी ने अपनी पहली स्थिति रिपोर्ट 8 मार्च को जमा की थी.
गौरतलब है कि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह स्वीकार किया था कि कोयला खान से संबंधित जांच पर उसकी स्थिति रिपोर्ट कानून मंत्री अश्वनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय व कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तरीय अधिकारियों ने देखी थी.
सिन्हा की इस स्वीकारोक्ति के बाद विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग की थी. हालांकि, प्रधानमंत्री ने यह मांग खारिज कर दी थी.