लखनऊ: उत्तराखण्ड में कुदरत के कहर की विभीषिका ङोल रहे जहां-तहां फंसे लोगों की जीने की आस पूरी रखने के लिये सेना पूरे जीवट के साथ जुटी है और अब तक दुर्गम तथा जंगलों से ढके-छुपे इलाकों में कई दिनों से भूख-प्यास से तड़प रहे करीब 18 हजार लोगों को बाहर निकाला गया है.
उत्तराखण्ड में प्रलयंकारी आपदा के बाद राहत कार्य में जुटी सेना की मध्य कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने आज यहां संवाददाताओं को बताया कि बेहद दुर्गम और खतरनाक इलाकों में सेना के जवान फंसे लोगों को ढूंढ रहे हैं और अब तक गंगोत्री, जोशीमठ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, पिण्डारी ग्लेशियर समेत विभिन्न इलाकों से करीब 18 हजार लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
उन्होंने बताया कि कई दिनों से भूख-प्यास से बेहाल लोगों को चिकित्सा सुविधा के लिये 19 मेडिकल केंद्रों तथा आरामगृहों की व्यवस्था की गयी है. चैत ने बताया कि बादल फटने के कारण नदियों में उफान से मची तबाही से उत्तराखण्ड का करीब चालीस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है. चारों धामों को देखे तो करीब 400 किमी सड़क पर असर पड़ा है. इस चुनौतीपूर्ण आपदा से निपटने के लिये सेना के साढ़े आठ हजार जवान हर जगह मुस्तैदी से तैनात हैं.
उन्होंने बताया कि सेना के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं और वह तमाम भौगोलिक दिक्कतों के बीच कहीं पर छोटे-छोटे पुल बनाकर तो कहीं दूसरे जरियों से लोगों को बाहर निकाल रही है. गंगोत्री क्षेत्र में कल तक 500 लोगों को निकाला गया. चैत ने बताया कि कल उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से आपदा राहत सम्बन्धी प्रयासों के सिलसिले में बात की थी.