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रेड्डी बंधु बेताज बादशाह नहीं रहे लेकिन जलवा कायम है

बेल्लारी : बेल्लारी में कभी रेड्डी बंधुओं की तूती बोलती थी लेकिन अब वे उतने प्रभावशाली नहीं रहे, फिर भी पांच मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उनका प्रभाव फीका नहीं पड़ा है. वर्ष 2008 में भाजपा ने बेल्लारी जिले में भारी जीत हासिल की थी और क्षेत्र की नौ सीटों में से […]

बेल्लारी : बेल्लारी में कभी रेड्डी बंधुओं की तूती बोलती थी लेकिन अब वे उतने प्रभावशाली नहीं रहे, फिर भी पांच मई को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उनका प्रभाव फीका नहीं पड़ा है.

वर्ष 2008 में भाजपा ने बेल्लारी जिले में भारी जीत हासिल की थी और क्षेत्र की नौ सीटों में से सात पर जीत हासिल की थी. यह कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है.

रेड्डी बंधु जी. जनार्दन रेड्डी, जी. करुणाकर रेड्डी और जी. सोमशेखर रेड्डी का तब यहां निर्विवाद आधिपत्य था और जिले में भाजपा के उभरने में उनका योगदान रहा.

आंध्रप्रदेश में अवैध खनन के मामले में जनार्दन रेड्डी फिलहाल हैदराबाद की जेल में सितम्बर 2011 से बंद हैं. करुणाकर रेड्डी देवाणगेरे जिले के हरपनहल्ली चले गए हैं.

सोमशेखर रेड्डी पूर्व मंत्री बी. श्रीरामुलू के बीएसआर कांग्रेस के साथ हैं जिन्होंने भाजपा से अलग होने के बाद अपनी पार्टी बना ली थी. वर्ष 2008 में बेल्लारी शहर से जीतने वाले सोमशेखर रेड्डी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.

अपने प्रभावशाली दौर में तीनों रेड्डी बंधुओं में दो भाजपा सरकार में मंत्री थे और तीसरे सोमशेखर रेड्डी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के अध्यक्ष थे. उन पर अकसर सरकार को मनमाफिक चलाने के आरोप लगते रहे थे. खनन व्यवसायियों के गढ़ होने एवं नियमों का उल्लंघन करने के कारण तत्कालीन लोकायुक्त संतोष हेगड़े बेल्लारी जिले को ‘‘द रिपब्लिक ऑफ बेल्लारी’’ कहते थे.

लेकिन रेड्डी बंधुओं का पतन होने से खनन व्यवसायियों का किला नहीं ढहा है और इस चुनाव में भी यह बेल्लारी एवं आसपास में राजनीतिक गतिविधियों में दिख रहा है.

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