नयी दिल्ली: नरेन्द्र मोदी को भाजपा चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने के विरोध में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देने से न सिर्फ मुख्य विपक्षी दल संकट और सकते में आ गया है बल्कि उसके सहयोगी दल भी असहज महसूस कर रहे हैं.
भाजपा के संस्थापक सदस्य और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सबसे कद्दावर नेता 85 वर्षीय आडवाणी ने गोवा अधिवेशन में मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के दूसरे ही दिन पार्टी के संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया है.
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बहुत ही कड़े शब्दों में लिखे अपने इस्तीफा पत्र में आडवाणी ने कहा कि भाजपा अब पहले जैसी ‘‘आदर्श पार्टी’’ नहीं रह गई है जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया था. इस्तीफा पत्र पाने के तुरंत बाद राजनाथ आडवाणी के निवास गए और उनसे त्यागपत्र वापस लेने का आग्रह किया. पार्टी अध्यक्ष ने बाद में ट्वीट पर लिखा कि उन्होंने इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है.
इन नाट्कीय घटनाक्रम के बाद इस्तीफा वापस लेने के आग्रह के साथ आडवाणी के निवास पर एक के बाद एक पार्टी नेताओं का तांता लग गया. इनमें सुषमा स्वराज, एम वेंकैया नायडु और अनंत कुमार शामिल हैं. सूत्रों ने बताया कि लेकिन आडवाणी ने उनके आग्रह ठुकरा दिए. उधर पार्टी अध्यक्ष ने इस संकट से उबरने के लिए अरुण जेटली सहित कई नेताओं से विचार विमर्श किया.