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उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला, कल हो सकता है विश्वास मत से सामना

मुंबईः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को दोपहर बाद औपचारिक रूप से अपना कार्यभार संभाल लिया. उन्होंने दोपहर 2 बजे के कुछ ही देर बाद मंत्रालय की छठी मंजिल पर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में गए और अपना कार्यभार संभाला. कार्यालय के बाहर ‘उद्धव बाला साहेब ठाकरे’ नाम की एक प्लेट लगी है. जब […]

मुंबईः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को दोपहर बाद औपचारिक रूप से अपना कार्यभार संभाल लिया. उन्होंने दोपहर 2 बजे के कुछ ही देर बाद मंत्रालय की छठी मंजिल पर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में गए और अपना कार्यभार संभाला. कार्यालय के बाहर ‘उद्धव बाला साहेब ठाकरे’ नाम की एक प्लेट लगी है. जब वे मंत्रालय पहुँचे, तो उन्होंने भवन में छत्रपति शिवाजी महाराज की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की.
बांद्रा स्थित ठाकरे परिवार के निवास स्थान मातोश्री से मंत्रालय जाने के दौरान, वह रास्ते में दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक पर रुके और शहीदों को श्रद्धांजलि दी. शिवसेना अध्यक्ष ठाकरे ने गुरुवार की शाम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
उन्होंने रात में पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की. ठाकरे शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन ‘महा विकास अघाडी’ की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. ठाकरे के अलावा छह अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिनमें शिवसेना, कांग्रेस और रांकापा के दो-दो नेता शामिल हैं. विधान भवन सूत्र ने कहा कि उद्धव ठाकरे नीत सरकार शनिवार को विश्वास मत का सामना कर सकती है :
कोर्ट ने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच चुनाव बाद गठबंधन को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता और राजनीतिक नैतिकता भिन्न होती हैं.
पीठ ने कहा,लोकतंत्र में हम राजनीतिक दलों के दूसरे दलों से गठबंधन के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते. शीर्ष अदालत ने अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रमोद पंडित जोशी की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा, लोकतंत्र में अदालत से चुनाव बाद गठबंधन के क्षेत्र में दखल देने की उम्मीद मत कीजिए, यह उसका न्यायिक क्षेत्र में नहीं है.
न्यायालय ने कहा कि यह फैसला अदालतों को नहीं बल्कि जनता को करना है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई दल सत्ता में आने के बाद अपने घोषणा पत्र में किए वादे पूरे नहीं करता है तो भी अदालत उसे इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती है.

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