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अयोध्या मामले को लेकर शनिवार को आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सभी धर्मों से जुड़े लोगों ने स्वागत किया है. धर्मगुरुओं ने फैसले को सम्मान योग्य बताते हुए सभी समाज के लोगों से भाईचारा बनाये रखते हुए देश की तरक्की के लिए काम करने की अपील की है. नहीं बदलता है जन्मस्थान तख्त श्री […]

अयोध्या मामले को लेकर शनिवार को आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सभी धर्मों से जुड़े लोगों ने स्वागत किया है. धर्मगुरुओं ने फैसले को सम्मान योग्य बताते हुए सभी समाज के लोगों से भाईचारा बनाये रखते हुए देश की तरक्की के लिए काम करने की अपील की है.

नहीं बदलता है जन्मस्थान
तख्त श्री
हरिमंदिर जी पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रणजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन कहते हैं कि किसी भी कौम के अवतारी पुरुष का जन्मस्थान नहीं बदलता है. चाहे वे गुरु नानक देव जी महाराज, पैगंबर हजरत मोहम्मद साहिब या फिर भगवान बुद्ध क्यों न हों. न्यायालय ने फैसला दोनों पक्ष का सम्मान रखते हुए दिया है. फैसले का सम्मान रखते हुए मिल जुल कर भाईचारे से समय गुजारें.
न्यायालय के फैसले का हो सम्मान
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब प्रबंधक कमेटी के महासचिव महेंद्रपाल सिंह ढिल्लन बताते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मस्थान को लेकर पांच दशकों से कायम विवाद का अंत हो गया. न्यायालय ने जो फैसला दिया है, उसका सम्मान हर कौम को करना चाहिए. अमन चैन व शांति के साथ लोग देश की तरक्की व खुशहाली के लिए कार्य करें. जन्मस्थान को लेकर विवाद था, जिसे बदला नहीं जा सकता है.
इंसानियत का हुआ सम्मान
ऑल इंडिया सब्बाग रंगरेज यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सामाजिक कार्यकर्ता रजी अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है, वह निश्चित तौर पर सराहनीय है. इस फैसले को मजहब के नजरिया से नहीं देख कर इंसानियत के दृष्टिकोण से देखें, तो फैसला सम्मान योग्य है. अब हर कौम के लोगों को मिल जुल कर देश की प्रगति के लिए कार्य करना होगा.
अमन चैन का फैसला है
मालसलामी स्थित खानकाह फैयाजिया सिमली के सज्जदानशीं फैयाज हुसैन फैयाजी बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय का जो
फैसला आया है, वह अमन व चैन का पैगाम देने वाला फैसला है. इस फैसले को हर कौम के लोगों द्वारा
सर आंखों पर रख कर स्वागत किया जाना चाहिए. निश्चित तौर पर यह देश को प्रगति की ओर ले जाने वाला फैसला है.
भाईचारा बढ़ाने वाला फैसला
पादरी की हवेली स्थित चर्च के पल्ली पुरोहित फादर सुरेश खाखा कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने अरसे से कायम विवाद को सुलझाने के लिए जो फैसला सुनाया है, उसका सम्मान होना चाहिए. यह फैसला अमन-चैन व भाईचारे को बढ़ाने वाला है. ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि देश में खुशहाली आये और प्रगति व तरक्की की राह पर आगे बढ़े. यह निश्चित तौर पर प्रेरणादायक है.
मजहब से परे हो करें स्वागत
शक्तिपीठ
बड़ी पटनदेवी के महंत विजय शंकर गिरि कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय में शनिवार को जिस तरह का फैसला दिया गया
है, वह निश्चित तौर पर सराहनीय है. मजहब से परे
होकर हर कौम को न्यायालय के फैसले का सम्मान करना चाहिए. अमन-चैन के साथ समाज के
विकास में हर कौम का सहयोग निश्चित तौर पर सराहनीय होगा.
जनता के अनुकूल है फैसला
चमडोरिया दरगाह बाबूल हवायच के सचिव शाह
जौहर इमाम जौनी बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो फैसला दिया है, उसका सम्मान देश के हर व्यक्ति को करना चाहिए. अमन-चैन व भाईचारे के साथ विवाद से परे होकर देश की
तरक्की व प्रगति के लिए कार्य करना चाहिए. न्यायालय का फैसला सराहनीय है. क्योंकि देश की जनता के अनुकूल है.
इंसानियत कायम रहे, यही इबादत है
सामाजिक कार्यकर्ता शाह सरबर इमाम बताते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्षों से लंबित विवाद पर जो यह फैसला सुनाया है, वह निश्चित तौर पर सराहनीय है. इस फैसले का स्वागत हर कौम के लोगों को करना चाहिए. समाज में इंसानियत कायम रहे, यही सच्ची इबादत है. देश में अमन-चैन व खुशहाली कायम रहे, इसके लिए सब लोग मिल कर कार्य करें.
मुहब्बत का माहौल कायम रहे
बिहार, झारखंड, ओडिशा के मुसलमानों की सबसे बड़ी एदारा इमारत ए शरिया के कार्यकारी नाजिम मौलाना मोहम्मद शिबली अल कासमी ने कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को अभी पढ़ा नहीं गया है. जजमेंट को पूरी तरह से पढ़ने और समझने के बाद ही प्रतिक्रिया दी जायेगी. इमारत ए शरिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एहतराम करता है. मुल्क में मोहब्बत का माहौल कायम रहे.

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