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अयोध्या पर आज आयेगा सुप्रीम फैसला : 10.30 बजे सुबह से बैठेगी संविधान पीठ, बिहार, झारखंड उत्तर प्रदेश सहित देशभर में अलर्ट

40 दिन चली सुनवाई, नौ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था केस नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में शनिवार को अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनायेगी. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर एक नोटिस के माध्यम से शुक्रवार की शाम यह जानकारी दी गयी. […]

40 दिन चली सुनवाई, नौ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था केस
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में शनिवार को अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनायेगी. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर एक नोटिस के माध्यम से शुक्रवार की शाम यह जानकारी दी गयी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ यह ऐतिहासिक फैसला सुबह साढ़े दस बजे सुनायेगी. पीठ ने 16 अक्तूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे,जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.
कोर्ट के फैसले के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिये हैं.उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में सुरक्षा बंदोबस्त चाक -चौबंद की गयी है. सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये हैं. यूपी में सभी स्कूल-कॉलेज 11 नवंबर तक बंद कर दिये गये हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अपने कक्ष में बुला कर उनसे राज्य में सुरक्षा बंदोबस्तों और कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी ली.
मालूम हो कि संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाइकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी.
संविधान पीठ ने इस मामले पर छह अगस्त से नियमित सुनवाई शुरू करने से पहले मध्यस्थता के माध्यम से इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास किया था. कोर्ट ने इसके लिए शीर्ष अदालत के रिटायर जज एफएमआइ कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी गठित की थी, लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली. इसके बाद, संविधान पीठ ने मामले पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया था.
…इधर, झारखंड में चौकसी, सीएम ने की शांति की अपील
रांची : अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आयेगा. इसके मद्देनजर डीजीपी केएन चौबे ने राज्य के सभी जिलों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है. अतिसंवेदनशील माने जानेवाले तीन जिलों रांची, जमशेदपुर और हजारीबाग में रैफ की तीन कंपनियां तैनात की गयी हैं.
जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया है कि वे संवेदनशील जगहों पर सीसीटीवी लगवाएं. किसी तरह का मूवमेंट होने पर उसकी वीडियोग्राफी भी करायी जाये. एहतियात के तौर पर फ्लैग मार्च भी निकाला जायेगा. उपद्रवी तत्वों से सख्ती से निबटने को भी कहा गया है. सुरक्षा के मद्देनजर रेल एडीजी प्रशांत सिंह ने भी प्रदेश में रेल यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर अलर्ट जारी किया है. इधर, शुक्रवार शाम से राजधानी में जगह-जगह पर फोर्स की तैनाती कर दी गयी थी. एहतियात के तौर पर वाहनों की चेकिंग भी शुरू कर दी गयी है. कोर्ट के निर्णय के बाद सड़कों पर कोई भी उत्पात नहींमचाये इसको लेकर भी पुलिस प्रशासन सतर्क है. विपरीत परिस्थिति से निबटने के लिए रैप, जैप, महिला बटालियन, बज्र वाहन, होमगार्ड, दमकल आदि को तैयार रखा गया है. जरूरत के मुताबिक किसी तरह की वारदात होने पर पड़ोस के जिलों से भी पुलिस की मदद मिल सकती है. जिलों के कंपोजिट कंट्रोल रूम के अलावा डीजीपी का कंट्रोल रूम भी चालू रहेगा. उपायुक्त राय महिमापत रे और एसडीओ लोकेश मिश्र ने कहा कि फैसले को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.
राजधानी में लागू है निषेधाज्ञा
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजधानी रांची में पहले से ही निषेधाज्ञा(धारा-144) लागू है. इधर, अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से आनेवाले फैसले के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था और सख्त कर दी गयी है.
शुक्रवार शाम से ही राजधानी में हर जगह पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है. रात में अलबर्ट एक्का चौक पर कोतवाली डीएसपी अजीत कुमार विमल, सिटी डीएसपी अमित सिंह, कोतवाली थाना प्रभारी बृज कुमार, डेलीमार्केट थाना प्रभारी राजेश सिन्हा, हिंदपीढ़ी थाना प्रभारी सुनील कुमार तिवारी सहित कई पुलिस पदाधिकारी मौजूद होकर जायजा ले रहे थे.
अयोध्या मामले पर आने वाले फैसले पर सभी नागरिकों से अपील है कि फैसला जो भी हो, हम उसे सहर्ष स्वीकार करें. किसी प्रकार की अफवाह पर ध्यान न दें. कोई अफवाह फैलाये तो इसकी सूचना प्रशासन को दें. प्रशासन शिकायत पर त्वरित कार्यवाही करे. झारखंड ने हमेशा अमन और भाईचारे की मिसाल पेश की है.
– रघुवर दास, मुख्यमंत्री, झारखंड
आगे क्या : रिव्यू पीटिशन का होगा मौका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हर पक्ष के पास पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का मौका रहेगा. कोई भी पक्षकार फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है, जिस पर बेंच सुनवाई कर सकती है. हालांकि, कोर्ट को यह तय करना होगा कि वह पुनर्विचार याचिका को कोर्ट में सुने या फिर चैंबर में सुने.
पीएम की अपील किसी की जीत-हार नहीं
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आयेगा, वह किसी की हार-जीत नहीं होगी. हम सब की यह प्राथमिकता रहे कि यह फैसला भारत की शांति, एकता और सद्भावना की महान परंपरा को और बल दे. कोर्ट के निर्णय के बाद भी हम सबको मिलकर सौहार्द बनाये रखना है.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
शांति की अपील
हम ऐसा कोई भी काम नहीं करें जिससे किसी के मजहबी जज्बात को ठेस पहुंचे. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान करें.
-मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली,
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
समाज के सभी वर्ग अदालत के फैसले का सम्मान करे. कोई ऐसा काम ना करें, जिससे दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे. जो भी फैसला होगा, देश उसे खुले दिल से स्वीकार करेगा.
-सर्वेश शुक्ला,
लखनऊ के दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के पुरोहित
हम लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और यहां कानून सबके लिए बराबर है. सभी को अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए. इसी को संस्कार कहते हैं.
-फादर डोनाल्ड डिसूजा,
लखनऊ के कैथोलिक डायोसियस के चांसलर
संविधान पीठ के पांच जज, जो देंगे अयोध्या पर फैसला
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे
जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़
जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर
1885 : पहली बार कोर्ट में पहुंचा मामला
1885 में विवाद पहली बार जिला न्यायालय पहुंचा. निर्मोही अखाड़े के महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में मस्जिद परिसर में मंदिर बनवाने की अपील की पर कोर्ट ने मांग खारिज कर दी. सालों तक यह मामला चलता रहा है.
1949 : भगवान श्रीराम की मूर्ति मिली
ब्रिटिश सरकार ने दीवार और गुंबदों को फिर से बनवाया था. 1949 में मस्जिद में भगवान श्रीराम की मूर्ति मिली. इस पर विरोध व्यक्त किया गया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया गया. फिर दोनों पक्षों के लोग कोर्ट पहुंचे.
2010 : इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को अपने फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान में बराबर-बराबर बांट दिया जाये.
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फैसला सुनाने जा रहा है. इस मामले में लगातार 40 दिन संवैधानिक बेंच बैठी और मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्तूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. 40 दिन हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने जोरदार और दमदार दलीलें पेश कीं. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली सबसे लंबी सुनवाई केशवानंद भारती से सबंधित वाद में चली थी, तब 68 दिन सुनवाई हुई थी.

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