नयी दिल्ली: कंप्लीट फैमिली हॉलीडे पैकेज का कॉंन्सेप्ट शुरू करने वाली दुनिया की पहली टूर एंड ट्रैवल कंपनी थॉमस कुक एक झटके में बंद हो गयी. ब्रिटेन आधारित ये कंपनी काफी समय से गंभीर आर्थिक संकटों का सामना कर रही थी. बताया जाता है कि कंपनी पर तकरीबन 1800 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसे चुका पाने में वो नाकामयाब रही.
दुनियाभर के छह लाख पर्यटक फंसे
बता दें कि 178 साल पुरानी कंपनी का इस तरह से बंद हो जाने की वजह से दुनियाभर के तकरीबन 6 लाख पर्यटक अलग-अलग देशों में फंस गये हैं. कहा जा रहा है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में पर्यटक होटलों में कैद हो गये हैं. यही नहीं, कंपनी के अचानक बंद हो जाने की वजह से कंपनी में काम करने वाले 16 देशों के तकरीबन 22 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है.
आईए इस खबर में जानते हैं कि थॉमस कुक टूर एंड ट्रैवल कंपनी का पूरा सफरनामा…
ब्रिटिश नागरिक थॉमस कुक ने की स्थापना
इस कंपनी की स्थापना वर्ष 1841 में ब्रिटिश नागरिक थॉमस कुक ने मार्केट हारबोरफ में की थी. दरअसल, उस समय ब्रिटेन में रेलवे लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था. इस कारण रेलवे लाइन बिछाने में काम कर रहे मजदूरों और वहां के कुलीन परिवार के बीच थॉमस कुक की यह कंपनी काफी प्रचलित हो गयी. इसकी वजह यह रही कि यह कंपनी दोनों वर्गों के लोगों को छुट्टियां बिताने के लिए सेवा मुहैया कराने लगी. कंपनी की ओर से वर्ष 1855 से यूरोप के टूर की शुरुआत की गयी. इसके साथ ही, कंपनी ने वर्ष 1866 से पर्यटकों को अमेरिका की सैर भी कराना शुरू कर दिया.
1855 तक पूरी दुनिया में बन गयी थी पहचान
साल 1855 तक कंपनी की पहचान करीब-करीब पूरी दुनिया में बन गयी थी. औद्योगिक क्रांति के बाद ब्रिटेन में एक नया आर्थिक-सामाजिक वर्ग उभरकर सामने आया, जिसे इतिहास में उच्च-मध्यवर्ग कहा जाता है. ये वर्ग अपने धन का काफी हिस्सा विलासिता में खर्च करता था. यह नया वर्ग विलासिता पर खर्च होने वाली राशि का एक हिस्सा पर्यटन पर भी खर्च करते थे. बस, यहीं से थॉमस एंड कुक की पर्यटन कंपनी उच्च मध्यवर्ग की इच्छा तथा आकांक्षाओं की साथी बन गयी. कंपनी ने लंदन से फ्रांस की राजधानी पेरिस तक के लिए यात्रा की शुरुआत की.
यही वह समय था, जब कंपनी ने कंप्लीट फैमिली हॉलीडे पैकेज की शुरुआत की. इसके तहत परिवारों के लिए ना केवल यात्रा का प्रबंध किया गया, बल्कि डेस्टिनेशन पर उनके ठहरने और खाने-पीने की भी व्यवस्था की गयी.
जब थॉमस कुक के बेटे और पोतों ने थामी कंपनी की कमान
साल 1892 में कंपनी के संस्थापक थॉमस कुक का निधन हो गया. इसके बाद टूर एंड ट्रैवल का ये बिजनेस उनके बेटे जॉन मैसन कुक ने संभाल लिया. इसके बाद कंपनी की जिम्मेदारी थॉमस के पोतों के हाथों में आ गई. साल 1928 में थॉमस के पोतों फ्रैंक एंड अर्नेस्ट ने कंपनी के बिजनेस को बाहरी मालिकों के हाथ बेच दिया. यहीं से इस प्रतिष्ठित कंपनी के उतार-चढ़ाव का दौर शुरू हो गया.
जब बिकने की कगार पर पहुंची थॉमस कुक
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साल 1948 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण हो गया. अधिकांश निजी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण हो रहा था. इस समय थॉमस कुक भी बिकने के कगार पर थी, लेकिन सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया. हालांकि, साल 1972 में कंपनी एक बार फिर निजी हाथों में आ गयी. कंपनी को मिडलैंड बैंक, होटलियर ट्रस्ट, हाउस फोर्ट और ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ने खरीद लिया.
जर्मन कंपनी ने किया कंपनी का अधिग्रहण
हालांकि, ये दौर ऐसा था, जब मध्य पूर्व भीषण तेल संकट का सामना कर रहा था. जिसका असर पूरे विश्व में देखा जा रहा था. ब्रिटेन में मजदूरों की हड़ताल की वजह से कई ट्रैवल कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा, लेकिन थॉमस कुक अपनी उसी प्रतिष्ठा के साथ खड़ी रही. कंपनी ना केवल अपनी साख बचाने में कामयाब रही, बल्कि अपना विस्तार भी किया. साल 2001 में एक जर्मन कंपनी सीएंडएन टूरिस्टिक एजी ने इसका अधिग्रहण कर लिया. अब इसका नाम हो गया, थामस कुक एजी.
विलय से बरबादी तक पहुंची थॉमस एंड कुक
कंपनी की बरबादी की शुरुआत तब हुई, जब यूनाइटेड किंगडम बेस्ड पैकेज ट्रैवल कंपनी माय ट्रैवल का इसमें विलय हुआ. थॉमस कुक एजी के लिए ये कदम आत्मघाती साबित हुआ. कहा जाता है कि इस विलय की वजह से थॉमस कुक भारी कर्ज के बोझ तले दब गयी. कर्ज का ऐसा जाल उलझा कि उससे कंपनी कभी उबर ही नहीं पायी. एक तो कर्ज का बोझ, उस पर थॉमस कुक एजी को एक नई कंपनी जेट-2 हॉलीडे से कड़ी चुनौती मिलने लगी. इस कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा ने थॉमस कुक की कमर तोड़ दी. इसके बाद से कंपनी लगातार कर्ज के बोझ तले दबती चली गयी.
1770 करोड़ रुपये का कर्ज चुका नहीं पायी कंपनी
हाल के दिनों की बात करें, तो पिछले महीने थॉमस कुक के इस संकट से उबरने की उम्मीद तब बंधी थी, जब चीन की एक इन्वेस्टमेंट कंपनी पोसन के साथ इसने 1.1 अरब डॉलर का रेस्क्यू डील किया था, लेकिन कंपनी को इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ. कंपनी पर 1770 करोड़ रुपये का कर्ज था, उसे चुका पाने में वह असमर्थ रही.