नयी दिल्ली : प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा को एकसाथ यात्रा के दौरान हवाईअड्डों पर साधारण सुरक्षा जांच से मिली छूट वापस लेने की सरकार की कोई योजना नहीं है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, किसी भी व्यक्ति को खतरे के आकलन के आधार पर सुरक्षा दी जाती है और गांधी परिवार के सदस्यों को लगातार अत्यधिक खतरा बना रहता है. ऐसे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एजेंसियों को खास प्रोटोकाल का पालन करना होता है जिसे ऐसे ही बदला नहीं जा सकता.
एसपीजी सुरक्षा प्राप्त प्रियंका को फिलहाल हवाईअड्डों पर सामान्य सुरक्षा जांच से छूट प्राप्त है. हालांकि, अगर उनके पति वाड्रा अकेले यात्रा करते हैं तो उन्हें हवाईअड्डों पर सुरक्षा जांच से गुजरना होता है. प्रियंका या एसपीजी सुरक्षा प्राप्त किसी अन्य व्यक्ति के साथ यात्रा करने पर उन्हें सामान्य सुरक्षा जांच से छूट प्राप्त है.
मीडिया की खबरों में यह कहे जाने के बाद कि सरकार वाड्रा को दिए गए विशेषाधिकारों को खत्म करने पर विचार कर रही है, प्रियंका ने एसपीजी प्रमुख दुर्गा प्रसाद को पत्र लिखा था और हवाईअड्डों पर खुद को तथा परिवार के सदस्यों को सामान्य सुरक्षा जांच से मिली छूट वापस लेने को कहा था.
अधिकारी ने कहा, एसपीजी सुरक्षा प्राप्त हस्तियों को और एसपीजी सुरक्षा प्राप्त हस्तियों के साथ चलने वाले लोगों को मिली सुविधाओं की फिलहाल समीक्षा करने की हमारी कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा, केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति खतरे के आकलन के आधार पर समय-समय पर लोगों की सुरक्षा की समीक्षा करती है.
किसी भी व्यक्ति को खतरे के आकलन के आधार पर समिति के फैसले के अनुरुप सुरक्षा दी जाती है. प्रियंका ने अपने पत्र में कहा था कि सूची में वाड्रा का नाम पूर्व एसपीजी प्रमुखों और दिल्ली पुलिस की राय पर शामिल किया गया था, न कि हममें से किसी के आग्रह पर जिन्हें तथ्य के बाद सूचित किया गया.
उन्होंने लिखा था, क्योंकि सरकार उनका (वाड्रा) नाम हटाने पर कथित विचार कर रही है, तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि मुझे नहीं लगता कि जब हम सभी एकसाथ यात्रा कर रहे हों तो हवाईअड्डों पर प्रवेश या निकास के समय मेरे बच्चों और मेरे लिए इन जांचों से मिली छूट को हासिल करना सही रहेगा. हालांकि, पत्र से विवाद खडा हो गया और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि बेहतर होता कि निर्णय के लिए मुद्दे को सुरक्षा एजेंसियों पर छोड दिया जाता.
रिजिजू ने कहा था, किसी को भी सुरक्षा मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए. मेरी समझ में नहीं आता कि कोई इसे राजनीतिक बिन्दु बनाने की कोशिश क्यों कर रहा है. सुरक्षा किसी व्यक्ति की मर्जी या भावना पर निर्भर नहीं करती.