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केंद्र ने जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल फंड को तीनमूर्ति भवन खाली करने का नोटिस भेजा

नयी दिल्ली : आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल फंड (जेएनएमएफ) को तीनमूर्ति भवन परिसर को खाली करने का नोटिस भेजा है, जबकि फंड ने इस दावे से इनकार किया कि इस परिसंपत्ति पर उसका अवैध कब्जा है. नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के निदेशक शक्ति सिन्हा द्वारा एक पत्र लिखे जाने […]

नयी दिल्ली : आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल फंड (जेएनएमएफ) को तीनमूर्ति भवन परिसर को खाली करने का नोटिस भेजा है, जबकि फंड ने इस दावे से इनकार किया कि इस परिसंपत्ति पर उसका अवैध कब्जा है.

नेहरु मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के निदेशक शक्ति सिन्हा द्वारा एक पत्र लिखे जाने के बाद यह नोटिस जारी किया गया है. सिन्हा ने पुस्तकालय के विस्तार के लिए और जगह का अनुरोध किया है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा, जेएनएमएफ को 24 सितंबर तक तीन मूर्ति भवन के परिसर को खाली करने का नोटिस दिया गया है. हम उनके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं. इस फंड की स्थापना 1964 में हुई थी और वह 1967 से तीनमूर्ति में स्थित है जो कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का आवास था. फंड का कार्यालय मुख्य भवन का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि उसके पूर्वी हिस्से पर बैरकों के एक सेट पर स्थित है. उसका तीन मूर्ति मार्ग पर अलग से प्रवेश द्वार है. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी फंड की अध्यक्ष हैं और पूर्व राज्यसभा सदस्य कर्ण सिंह उपाध्यक्ष हैं.

शक्ति सिन्हा ने कहा, मैंने मंत्रालय को लिखा और उसे दो विकल्प दिये. एक था हमारे लिए नये भवन का निर्माण और दूसरा, जेएनएमएफ को दी गयी जगह खाली करायी जाना. हमने पाया कि जेएनएमएफ भवन की आवंटन प्रक्रिया कानूनी रूप से उपयुक्त नहीं है. पूरी संपत्ति मंत्रालय की है और उसने (फंड ने) गलत तरीके से उस संपत्ति पर कब्जा कर रखा है. फंड के प्रशासक उनकी बातों से असहमत हैं. राजनीतिक विश्लेषक और फंड की न्यासी जोया हसन ने कहा कि खाली करने संबंधी नोटिस नेहरु की धरोहर को कमजोर करने के प्रयास का हिस्सा है. उन्होंने कहा, मंत्रालय को जवाब भेजा गया है और बताया गया है कि जेएनएमएफ का अवैध कब्जा नहीं है. यह संगठन 50 सालों से भी अधिक समय से है और किसी ने उसकी वैधता पर सवाल नहीं उठाया है.

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