जुम्मन मियां सबेरे सबेरे मुंह लटकाए चले जा रहे थे,अपन ने पूछा की चचा अइसा का हुआ की बिहाने ही बारह बजाय लिए हो? भौजाई ने कुछ कह दिया का?
चचा भड़क उठे, बोले -हमको देश का पड़ा है और तुम हो की मजाक कर रहे हो? देखो हमरे जेतने हितैषी रहे सब समझाते रहे की नरेंदर मोदी से तुमरी रक्षा हम करेंगे लेकिन उन सबके आदमी खुदे मोदी के साथ हो लिए और अपन लोग तो पूरी दुनिया में बदनाम हो गए. सब कह रहे हैं की मोदी जी इतनी बड़ी जीत लेकर आये हैं लेकिन उनको मुसलमानों का समर्थन नहीं मिला है, बताओ भला अब भारत सरकार बनने जाय रही है और पूरा एक कौम के बारे में ऐसा उल्टा कहेंगे लोग त सरकार हमरा भला कैसे करेगी?
मैंने कहा की चचा अब तुम लोग वोट दिए रहे की नाहीं लेकिन इहो त समझो की देश में जेतने लोग मोदी पार्टी को वोट दिए हैं उनसे कहीं अधिक लोग विरोध में भी त वोट दिए हैं, काहें ले लोड ले रहे हैं? जिंदगी वइसे ही चलती रहेगी,अब मोदी जी केहू के घर तरकारी थोड़े न पहुंचायेंगे. जुम्मन चचा बोले-काहे न पहुंचायेंगे भाई, सरकार क जिम्मेदारी होत है की नाहीं? सरकारी गल्ला की दुकान हो चाहे नरेगा की मजूरी, सब योजना त सरकारे न बनाती है जिसके बहाने से गरीब गुरबा के घर दिया बत्ती होता है. अब हम लोगन को सेकुलर कहे जाने वाले लोगन ने बदनाम करवा के रख दिया है, हम एही सोच रहे हैं की जब खाली हमही लोगन के नाम पर सियासत करने वाले लोट गए तब हमहन का का होगा? देखो कंग्रेसिया सब पहिले लालू जी को अंदर करवाए फिर बाहर निकाल कर ओनको अपने साथ लेय लिए फिर ओनके कपार पर चढ़ कर, बिहार में दो सीट पाय गए. उधर जो हमरे महबूब मिया रहे बिहार कांग्रेस के पुरनका अध्यक्ष, ओनको देखो पासवान जी की पार्टी से संसद चहुंप गए, उहो मोदी जी के पार्टी के साथ. त ई समझ में नहीं आवा की खाली हमरी बिरादरी के नाम ही सियासत काहे होती रही, का हम लोगन को विकास से कवनो मतलब नाहीं?
मैंने समझाया की चचा विकास मुद्दा होता तो नीतीश जी हारते? ई बात त लालू जी भी मानते होंगे की पिछला दस साल में बिहार जहां पहुंचा है उस पर हर बिहारी को गर्व होगा,अब देख लीजिये संझा होते ही घर में घुस जाने की जल्दी नहीं होती. अरे हारने को त शरद यादव जइसा समाजवादी हार गया त का कर लेंगे, अब देखिये उहो अकबका गए हैं.
जुम्मन चचा खामोश हो गए फिर धीरे से बोले – वइसे बेटा हमरी खुशी त मोदियो जी से अधिक है, हमरी बिरादरी के नाम पर खाली सियासत होती रही और मिला घंटा. शरद बाबू का तो समझ में आय रहा है, सब ठीक रहा होता तो आज सेंटर में मनिस्टर बने होते लेकिन समय केहू का नहीं होता है. कब किसका टाइम बदल जाए, अपने नवा मुख्यमंत्री को ही देख लेओ. अब देखना तो ई है की कहीं उहो न समझाने लगें की मूस खाने से ताकत बढ़ती है, नीतीश बाबू ने उनको जे जिम्मेदारी दी है उसको कायदे से निभाएं अउर देश को दिखाएं कि बिहार में दम है की देश की राजनीति में नई शुरु आत यहीं से होती है. हां मगर खियाल रहे की ऊ राबड़ी देवी जइसा खाली लालूजी से आज्ञा लेने वाले न हो जाएं काहें से की सब चर्चा कर रहे हैं की नीतीश बाबू ने अपना आदमी सेट कर दिया है ताकि उनको नरेंदर मोदी से हाथ न मिलाना पड़े. मगर हम ई नहीं मानते हैं, अब ओनके ऊपर है की नइय्या पार लगाएं. टीवी में बता रहा था की एतना तेज़ लहर में भी बंगाल, उड़ीसा से मदरास तक मोदी जी का नहीं चला और लोकल पार्टी जमा हुआ है. हम लोगन के इहां त अबहीं समय है,बन गए मोदी जी परधान लेकिन बिहारी अपना समय याद रखें. नमस्कारी करके मैं आगे बढ़ा, अब कहा क्या जा सकता था? सबकी अपनी अपनी पॉलिटिक्स होती है.