नयी दिल्ली : जेएनयू के छात्रों की रैली कवर करने के दौरान दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर पर छेड़छाड़ का आरोप लगानेवाली एक पत्रकार ने अपनी शिकायत में कहा है कि पुलिस कर्मी ने उसके सीने को छुआ था, जबकि उसने उसे बता दिया था कि वह मीडिया से है.
पुलिस ने बताया कि घटना के संबंध में सोमवार को एक मामला दर्ज किया गया और जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि छेड़छाड़ के आरोपी विद्याधर सिंह को जिला लाइंस भेज दिया गया है. सिंह दिल्ली छावनी में एसएचओ है. यह कथित घटना पिछले सप्ताह हुई थी, जब शिकायतकर्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा आयोजित एक मार्च को कवर कर रही थी. शिकायतकर्ता ने कहा कि वह अपने एक सहयोगी पत्रकार के साथ, विरोध स्थल के समीप सर्विस लेन में खड़ी थी. उसी दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को लाठियों से मारना शुरू किया. पीड़ित का आरोप है कि उसे और अन्य पत्रकार को सिंह ने धक्का दिया. पीड़ित ने शिकायत में कहा, तब हम दोनों ने सिंह को बताया कि हम पत्रकार हैं. तब वह कुछ पल के लिए पीछे हुआ. उसके बाद वह फिर से हमारी ओर बढ़ा, वह मेरे सीने के बिल्कुल करीब आ गया, उसने अपना हाथ मेरे दाहिने वक्ष पर रखा और मुझे फिर से धक्का दिया.
पत्रकार ने दावा किया कि जब उसका और अन्य मीडिया सहयोगियों का घटना को लेकर सिंह से सामना कराया गया तो उसने मुझे कहा कि मैं झूठ बोल रही हूं. शिकायत के बाद मामले की सतर्कता जांच के आदेश दे दिये गये. पत्रकार ने घटना की जांच करनेवालों के सामने अपने आरोप दोहराये. पुलिस इंस्पेक्टर ने आरोपों से इनकार किया है. यह मामला विस्तृत जांच के लिए अपराध शाखा को सौंप दिया गया है.
शुक्रवार को जेएनयू के छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर से संसद तक एक मार्च निकाला था. लक्ष्मी बाई नगर के संजय झील इलाके में पुलिस ने छात्रों और शिक्षकों को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया और पानी की धारा उन पर छोड़ी. प्रदर्शन कवर करने आये पत्रकार भी इससे नहीं बच सके. दो पत्रकारों ने मार्च के दौरान हिंसक घटनाओं के संदर्भ में अलग-अलग शिकायतें दर्ज करायी हैं. एक ने छेड़छाड़ की और दूसरे ने हमले की शिकायत दर्ज करायी है. प्रदर्शन के दौरान एक फोटो पत्रकार का कैमरा कथित तौर पर छीनने के लिए रविवार को एक महिला कॉन्स्टेबल तथा एक पुरुष हेड कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया गया है.