दुनिया भर के देशों के साथ भारत में भी समलैंगिकों द्वारा आपस में वैवाहिक संबंध स्थापित करने आैर धारा-377 को समाप्त करने की मांग की जा रही है. भारत में समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में डालने के लिए अंग्रेजों द्वारा ही धारा 377 के जरिये कानून बनाया गया था. शनिवार को मुंबर्इ में समलैंगिकों के समुदाय ने धारा 377 को समाप्त करने की खातिर प्राइड मार्च निकाला.
मुंबई : समलैंगिक, द्विलिंगी और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदाय के सदस्यों ने शहर की सड़कों से शनिवार को प्राइड मार्च निकाला. इस साल के मार्च का विषय ‘सेक्शन 377 क्विट इंडिया’ था. इसमें समुदाय की इस मांग पर जोर दिया गया कि भारतीय दंड संहिता से धारा 377 को खत्म किया जाये. यह धारा समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखती है. प्राइड मार्च का आयोजन हर साल पूरी दुनिया में समुदाय की सामूहिक आवाज और समान अधिकार और गरिमा पर जोर देने के लिये किया जाता है.
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मार्च की शुरूआत अगस्त क्रांति मैदान (जहां महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी) से हुई और यह गिरगांव चौपाटी पर जाकर समाप्त हुई.। इसके साथ ही ‘मुंबई प्राइड मंथ’ का भी समापन हुआ. यह पांच जनवरी से शुरू हुआ था. गैर सरकारी संस्था एड्स हेल्थकेयर फाउंडेशन के सद्भावना दूत प्रिंस मानवेंद्र सिंह गोहिल ने इस अवसर पर कहा कि समलैंगिकता का अस्तित्व हमारे देश में काफी पहले से रहा है.
उन्होंने कहा कि हम अपनी पौराणिक कथाओं, संस्कृति, साहित्य, कला एवं परंपरा में भी इसका सबूत पाते हैं. समाज के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कितनी भी मात्रा में कलंक और भेदभाव समलैंगिक समुदाय को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और उसे हासिल करने से नहीं रोक पायेगा.