नयी दिल्ली : दिल्ली डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने उच्चतम न्यायालय से जुड़ा संकट 10 दिनों के अंदर नहीं सुलझने की स्थिति में लोगों के बीच जाने की रविवारको चेतावनी दी. साथ ही, इसने शीर्ष न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के दबाव बनाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
दिल्ली की छह जिला अदालतों के वकीलों की समन्वय समिति ने एक बैठक के बाद एक प्रस्ताव पारित किया. इसने कहा कि न्यायापालिका में इस तरह के विवादों का हल करने के लिए एक आतंरिक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक न्यायिक जवाबदेही विधेयक लाया जाना चाहिए. समिति ने कहा कि यह इस मुद्दे पर देश भर के बार एसोसिएशनों के साथ चर्चा करेगी और इसने 10 दिनों में संकट का हल नहीं होने की स्थिति में लोगों के बीच जाने की चेतावनी भी दी. समिति की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘हम यह चाहते हैं कि प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को न्यायालय को सुव्यवस्थित रखना चाहिए और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की शिकायतें सीजेआई द्वारा फौरन दूर की जानी चाहिए.’
गौरतलब है कि शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने यहां संवाददाता सम्मेलन कर एक अभूतपूर्व कदम के तहत सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की थी. उन्होंने मामलों (मुकदमों) को चुनिंदा तरीके से आवंटित किये जाने और कुछ खास न्यायिक आदेशों पर सवाल उठाये थे.