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पेट्रोल-डीजल महंगा, रसोई गैस सस्ता

नयी दिल्लीः एक बार फिर तेल कंपनियों ने तेल की कीमतें बढ़ा दी है. पेट्रोल के दाम में 75 पैसे जबकि डीजल के दाम में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. कंपनियों का कहना है कि रुपये के कमजोर होने से कंपनियों का घाटा हो रहा है. बढ़ी हुई कीमतें शुक्रवार आधी रात […]

नयी दिल्लीः एक बार फिर तेल कंपनियों ने तेल की कीमतें बढ़ा दी है. पेट्रोल के दाम में 75 पैसे जबकि डीजल के दाम में 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. कंपनियों का कहना है कि रुपये के कमजोर होने से कंपनियों का घाटा हो रहा है. बढ़ी हुई कीमतें शुक्रवार आधी रात से लागू हो गयी.उधर बिना सब्सिडी वाला गैस सिलेण्डर 45 रूपए सस्ता हो गया है. अब 14.2 किलोग्राम का बिना सब्सिडी वाला सिलेण्डर 847 रूपए में मिलेगा. पहले यह 901 रूपए में मिलता था. बिना सब्सिडी वाले सिलेण्डर की कीमतें विभिन्न शहरों में अलग-अलग होगी. यह विभिन्न राज्यों के वैट पर निर्भर करेगा. देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन आरएस बुटोला ने बताया, ‘हाल के दिनों में डॉलर अगर मजबूत नहीं हुआ होता तो हमारा घाटा और भी कम हो गया होता.’ डॉलर मजबूत होने की वजह से ही क्रूड के सस्ता होने के बावजूद तेल कंपनियों को पेट्रोल की कीमत में वृद्धि करनी पड़ी है. बहरहाल, बुटोला ने सबसे ज्यादा राहत डीजल ग्राहकों को दी है. डीजल पर तेल कंपनियों को अभी 3.73 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है. इस हिसाब से देखा जाए तो डीजल ग्राहकों को अब सिर्फ अगले सात महीने ही कीमत वृद्धि का बोझ उठाना पड़ेगा. पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आइओसी के मुनाफे में 14.5 फीसद की वृद्धि हुई है. यह 12,670.43 करोड़ रुपये से बढ़ कर 14,512.81 करोड़ रुपये हो गया है. इस तिमाही के लिए कंपनी की हानि की भरपाई के लिए सरकार ने भी कोई राशि नहीं दी है. डीजल, रसोई गैस व केरोसिन को घाटे पर बेचने की वजह से तेल कंपनियों को जो घाटा होता है उसका एक बड़े हिस्से की भरपाई सरकार करती है. पूरे वित्त वर्ष के दौरान कंपनी को 5,005.17 करोड रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. यह इसके पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 26.5 फीसद ज्यादा है.

इससे पहले 1 मई को पेट्रोल के दाम में 3 रूपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी. पिछले पांच साल में पेट्रोल के दाम में यह सबसे बड़ी एकमुश्त कटौती हुई थी. पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही बढ़ोतरी के पीछे कमजोर रुपए को वजह माना जा रहा है. दरअसल रुपया 10 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया है डॉलर के मुकाबले रुपया घटकर 56.38-39 प्रति डालर तक नीचे आ गया है. जिससे आयात महंगा हो गया है जिससे पेट्रोल के दाम बढ़ गए.

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