कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि मोहब्बत की कोई सीमा नहीं होती. प्रेम विवाह को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कन्नूर की श्रुति की शादी को ‘लव जिहाद’ मानने से इनकार कर दिया और उसे अपने पति अनीस हमीद के साथ जाने की इजाजत दे दी. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान अंतर्जातीय और अन्य धर्म के लोगों के साथ विवाह के मामलों पर यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि सभी प्रेम विवाह को ‘लव जिहाद’ की संज्ञा नहीं देना चाहिए.
ज्ञात हो कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उस मुस्लिम पुरुष द्वारा उठाये गये मुद्दों की सर्वोच्च अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने का आदेश दिया था, जिसके विवाह को केरल उच्च न्यायालय ने ‘लव जिहाद’ का मामला बताते हुए रद्द कर दिया था. चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अगुवाईवाली पीठ ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की देखरेख में मामले की जांच होगी.
Sruthi's marriage was not 'Love Jihad' observed Kerala High Court allowing her to go with her husband Anees Hameed
— ANI (@ANI) October 19, 2017
पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. साथ ही कहा था कि वह राष्ट्रीय जांच एजेंसी की रिपोर्ट, केरल पुलिस से मिली जानकारी और महिला से बातचीत करने के बाद विचार-विमर्श करेगी और फिर कोई निष्कर्ष निकालेगी.
सुप्रीमकोर्ट ने 10 अगस्त को केरल पुलिस को मामले की जांच का ब्योरा राष्ट्रीय जांच एजेंसी के साथ साझा करने का निर्देश दिया था. यह मामला तब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जब केरल निवासी शफीन जहां ने केरल हाईकोर्ट द्वारा अपना विवाह रद्द किये जाने को चुनौती दी. हाईकोर्ट ने पुलिस को ऐसे मामलों की जांच करने के आदेश दिये थे.
While hearing case of conversion&marriage of Kannur's Sruthi,HC said such kind of marriages should be encouraged,theres no boundary for love
— ANI (@ANI) October 19, 2017
शीर्ष अदालत ने कहाथा कि वह इस मामले की जांच का जिम्मा एक तटस्थ एजेंसी के तौर पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप रही है, जो ‘पूरी तस्वीर’ सामने लायेगी और यह पता लगायेगी कि क्या यह खास मामला ‘एक छोटी जगह’ तक ही सीमित है या ‘व्यापक’ रूप में है. जहां ने पिछले साल दिसंबर में एक हिंदू महिला से विवाह किया था.
केरल हाईकोर्ट ने उसका विवाह रद्द कर दिया. तब जहां ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगायी कि यह देश में महिलाओं की आजादी का अपमान है. हिंदू महिला ने पहले इस्लाम धर्म ग्रहण किया और फिर जहां से विवाह किया था.
आरोप लगाया गया था महिला का चयन सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मिशन के लिए किया गया और जहां तो केवल एक कठपुतली था. पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने जहां की अपील पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी और केरल सरकार से जवाब मांगा था. महिला के पिता अशोकन केएम ने आरोप लगाया था कि धर्मांतरण और इस्लामिक कट्टरपंथ के लिए ‘पूरी तरह सुनियोजित एक व्यवस्था’ है.
Kerala HC's observation on inter-caste and inter-religious marriages: "All love marriages should not be termed as 'Love-Jihad'"
— ANI (@ANI) October 19, 2017
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में ‘लव जिहाद’ के कुछ मामलों की जांच की थी, जिनमें महिलाओं को कथित तौर पर आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया भेजा गया था. हाईकोर्ट ने विवाह को रद्द करते हुए अपनी व्यवस्था में कहा था कि यह मामला ‘लव जिहाद’ का है. साथ ही उसने राज्य पुलिस को ऐसे मामलों की जांच करने के लिए आदेश भी दिया था.