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छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में बसा एक गांव, इस स्कूल में 365 दिन होती पढ़ाई
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 68 किलोमीटर दूर तिल्दा प्रखंड के घने जंगलों में बसा एक गांव है – भरूवाडीह. इस गांव में ज्यादातर आदिवासी समुदाय के लोग हैं. इसी गांव में है भरूवाडीह कला स्कूल. इस स्कूल की खासियत यह है कि यह साल के 365 दिन चलता है. रविवार हो या छुट्टी का […]
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 68 किलोमीटर दूर तिल्दा प्रखंड के घने जंगलों में बसा एक गांव है – भरूवाडीह. इस गांव में ज्यादातर आदिवासी समुदाय के लोग हैं. इसी गांव में है भरूवाडीह कला स्कूल. इस स्कूल की खासियत यह है कि यह साल के 365 दिन चलता है. रविवार हो या छुट्टी का दिन, बच्चे स्कूल जरूर पहुंचते हैं. यहां 62 बच्चे पढ़ते हैं जो सुबह नौ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक तरह-तरह की गतिविधियां सीखते हैं. वे यहां किताबी ज्ञान के अलावा बागवानी, खेलकूद जैसी तालीम हासिल करते हैं.
इस स्कूल की दूसरी सबसे खास बात यह है कि यहां बच्चों को घर से किताबें लाने की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि स्कूल में ही बच्चों के लिए किताब की व्यवस्था की गयी है. तीसरी बड़ी खासियत है, मंत्रिमंडल का गठन.
बच्चे खुद का मंत्रिमंडल बनाते हैं. कोई प्रधानमंत्री बनता है, तो कोई मंत्री. उनके बीच बकायदा विभागों का भी बंटवारा होता है. किसी छात्र की गलती पर लोकतांत्रिक तरीके से सजा दी जाती है. बच्चे ग्रामीणों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं. सरपंच तुकेश्वरी बंजारे कहती हैं कि स्कूल के बच्चों से गांव की पहचान बन रही है.
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