नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज उस स्टिंग ऑपरेशन पर भरोसा नहीं किया जो नीतीश कटारा हत्याकांड में अहम गवाह अजय कटारा के बयान पर सवाल खडा करता है. अदालत ने मामले में दोषी विकास यादव तथा दो अन्य को दोषी ठहराये जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अदालत में दिये अजय कटारा के बयानों को स्वीकार किया.
न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति जे आर मिढा की पीठ ने कहा कि यह भलीभांति तय है कि गवाह द्वारा मुकदमे के दौरान दी गयी गवाही माननी पडेगी.
पीठ ने कहा, ‘‘हम निचली अदालत के न्यायाधीशों की इस बात से सहमत हैं कि अदालत में क्रमश: 31 मई, 2003 और 27 जुलाई, 2007 को दर्ज गवाह के बयान को मानना होगा. 2008 में किया गया स्टिंग ऑपरेशन अविश्वसनीय है और इसका सबूत के तौर पर कोई मूल्य नहीं है.’’