बेंगलूर : कर्नाटक में नेताओं के बेटे इस बार लोकसभा चुनावों में बढ चढकर भाग ले रहे हैं. कुछ नेता अपने बेटों को राजनीति का अनुभव दिलाने के लिए उनके लिए रास्ता प्रशस्त कर रहे हैं. नेताओं के बेटे चुनाव प्रचार मुहिम की रणनीतियां बना रहे हैं और युवा मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगे हैं.
उच्चतर शिक्षा मंत्री आर वी देशपांडे के बेटे प्रशांत देशपांडे और बागवानी मंत्री शामानुर शिवशंकरप्पा के बेटे एस एस मल्लिकार्जुन अपने अपने पिता की विरासत को आगे ले जाने की कोशिश में जुटे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे एच पटेल के पुत्र महिमा पटेल और एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एस बंगारप्पा की पुत्री गीता शिवराजकुमार अपने पिता के सपनों को साकार करने को लालायित हैं.
हालांकि प्रशांत और मल्लिकार्जुन लंबे समय से पार्टी के कार्यों में भूमिका निभाते आए हैं. प्रशांत उत्तर कन्नड निर्वाचन सीट और कांग्रेस दावानगेरे से चुनावी मैदान में हैं. महिमा पटेल भी दावानगेरे से ही चुनाव लड रहे हैं. गीता राजनीति के क्षेत्र में नई हैं और इस बार शिमोगा से चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रही हैं.राज्य में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो अपने बेटों को काफी मशक्कत के बाद भी टिकट नहीं दिला पाए. वीरप्पा मोइली और कांग्रेस में वरिष्ठ नेता मार्गेट अल्वा अपने बेटों हर्ष मोइली और निवेदित अल्वा को क्रमश: टिकट नहीं दिला पाए.
कर्नाटक के मंत्री टी बी जयचंद्र ने अपने बेटे संतोष जयचंद्र और प्रकाश हुक्केरी ने अपने बेटे गणोश हुक्केरी को टिकट दिलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे. भाजपा नेता प्रभाकर कोरे के बेटे अमित कोरे और पूर्व मंत्री एस टी जयराम के बेटे अशोक भी टिकट हासिल करने में असफल रहे.