राजीव पांडेय
रांची : डायबिटीज के प्रति शहर के लोगों में जागरूकता बढ़ी है. लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर डायबिटीज पर नियंत्रण पा रहे हैं. सुबह तड़के उठना, व्यायाम करना व टहलना लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गया है. खान-पान व डायट भी बदल गया है. सुबह शहर के खुले स्थान व मैदान में काफी संख्या में ऐसा करते लोगों को देखा जा सकता है. कोई टहल रहा है, तो कई दौड़ लगा रहा है. सुबह के समय मेहनत कर लोग खूब पसीना बहा रहे हैं
नारकोटिक्स इंटेलिजेंस अफसर संजय कुमार ने बताया कि तीन साल पहले उन्हें पता चला कि वह डायबिटीज की चपेट में आ गये हैं. पहले तो वह इसको लेकर चिंतित नहीं थे. पहले की तहत जीवन जी रहे थे, लेकिन शुगर लेवल कम नहीं होने पर उन्होंने जीवनशैली में बदलाव लाना शुरू किया. संजय बताते हैं कि सबसे पहले सुबह उठना शुरू किया.
घर के पास ही टहलना शुरू किया. बाद में मोरहाबादी में लोगों को टहलता देख उनकी टोली में शामिल हो गये. अब रोजाना मोरहाबादी मैदान का तीन से चार चक्कर लगाते हैं. उसके बाद एक जगह एकत्रित होकर करैला व अन्य औषधीय सब्जी का जूस पीते हैं. इससे काफी हद उनका शुगर लेवल कंट्रोल हुआ है.
झारखंड के 10.7 फीसदी शहरी लोग डायबिटीज की दहलीज पर: इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (अाइसीएमआर-2018) के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में 10.7 फीसदी शहरी लोग डायबिटीज की दहलीज पर हैं. वहीं 7.4 फीसदी ग्रामीण प्री-डायबिटीक हैं.
डायबिटीज का बड़ा कारण है मोटापा : यूनाइटेड डायबिटीज फोरम (डॉक्टरों की संस्था) मोटापा को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाता है. आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका व चीन के बाद भारत विश्व का तीसरा देश बन गया है, जहां मोटापा सबसे ज्यादा है. बच्चे इसकी श्रेणी में तेजी से बढ़ रहे हैं.
शून्य से 16 साल के 15 फीसदी बच्चे मोटापा के शिकार हैं. डॉक्टरों का सर्वे बताता है कि मात्र 28 फीसदी लोग ही मोटापा को लेकर जागरूक हैं. मोटापा से पीड़ित लोगों में 50 फीसदी को डायबिटीज होने का खतरा रहता है. वहीं 10 फीसदी कैंसर, 33 फीसदी अस्थमा व 30 फीसदी डिमेंसिया हो सकता है.
मधुमेह को लेकर जागरूक हो रहे लोग
केस स्टडी-एक
रांची निवासी अाशीष की उम्र 38 साल है. वे 33 साल की उम्र में ही डायबिटीज के शिकार हो गये. प्रारंभिक अवस्था में डायबिटीज की जानकारी होने पर उन्होंने अपनी जीवनशैली में बदलाव लाया. आशीष बताते हैं कि सुबह उठने के बाद सीधे मोरहाबादी मैदान चले जाते हैं. पहले मोरहाबादी मैदान का पैदल दो चक्कर लगाते हैं. फिर दौड़ते भी हैं. इसके बाद खाली पेट लौकी, करैला व नीम के जूस का सेवन करते हैं. शारीरिक मेहनत व खान-पान में बदलाव लाकर उन्होंने शुगर पर कंट्रोल किया है. बिना दवा खाये उनका शुगर सामान्य हो गया है.
केस स्टडी-दो
कार्यपालक अभियंता राजेंद्र कुमार को कुछ साल पहले पता चला कि उनका शुगर लेवल बॉर्डर लाइन पर आ गया है. डाॅक्टर ने कहा कि आप प्री-डायबिटीक हो गये हैं. मोटापा कम करने के लिए शारीरिक मेहनत कीजिये, नहीं तो डायबिटीज के मरीज बन जायेंगे. राजेंद्र ने बताया कि इसके बाद उन्होंने मोरहाबादी मैदान में टहलना शुरू कर दिया. टहलने के साथ-साथ खान-पान पर भी नियंत्रित किया. अनाज का इस्तेमाल कम कर दिया. खाने में हरी सब्जी व फल को शामिल किया. आज दो साल से उनका शुगर लेवल सामान्य स्तर पर है.
मोटापा से ये बीमारियां
कैंसर
बांझपन
बैक पेन
गठिया
शुगर
हृदय रोग
मोटापा का कारण
जंक फूड
कोल्ड ड्रिंक
ज्यादा तेल
पैक्ड फूड
कम नींद
तनाव
माता-पिता को डायबिटीज है, तो बच्चे को 75 फीसदी संभावना
डायबिटीज दो प्रकार का होता है. टाइप-वन व टाइप-टू. अगर माता-पिता दोनों को डायबिटीज है, तो उनके बच्चों को 75 फीसदी टाइप-टू डायबिटीज होने की संभावना रहती है. वहीं 30 फीसदी टाइप-वन डायबिटीज होने की संभावना रहती है. अगर सिर्फ पिता को डायबिटीज है, तो बच्चे को टाइप-वन डायबिटीज आठ व टाइप-टू 15 फीसदी होने की संभावना रहती है. अगर सिर्फ माता को डायबिटीज है, तो बच्चे को टाइप-वन दो फीसदी व टाइप टू डायबिटीज सात से 15 फीसदी होने की संभावना रहती है.
तैलीय व वसायुक्त भोजन से बचें : डॉ ढांढनिया
रांची : डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ विनय कुमार ढांढनिया ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव लाकर डायबिटीज के 50 फीसदी मरीज अन्य गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. अगर माता-पिता को डायबिटीज है, तो उनके बच्चों को डायबिटीज नहीं हो, इस पर शुरू से सोचना होगा. अक्सर देखा जाता है कि घर में डायबिटीज मरीज होने पर परिवार के सदस्य सिर्फ उनका डायट नियंत्रित कर देते हैं, जबकि घर के अन्य लोगों का खाना तैलीय व वसायुक्त होता है.
इससे उनका डायट अनियंत्रित हो जाता है. ऐसे में घर के अन्य लोगों को भी डायबिटीज होने की संभावना रहती है. वे बुधवार काे विश्व डायबिटीज दिवस की पूर्व संध्या पर होटल कैपिटोल हिल में आयोजित प्रेस वार्ता में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि स्कूल के स्तर पर ही डायबिटीज से बचाव व जागरूकता का कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए. बच्चे मोटापा के शिकार क्याें हो रहे हैं, इसके लिए अभिभावक को भी सोचना चाहिए. वहीं कॉलेज स्तर पर युवाओं को जागरूक करना चाहिए कि वे धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें.
समझें शुगर का लेवल
सामान्य खाली पेट 100 से नीचे व खाने के बाद 140 से नीचे
प्री-डायबिटिक खाने के बाद 140 से ज्यादा 200 से कम
डायबिटीक 200 से ऊपर
एचवीएवनसी छह से नीचे होना चाहिए
ये है जांच
खाली पेट ग्लूकोज की जांच
खाने के दो घंटे की जांच
एचबीएवन सी
आधा घंटा करें व्यायाम व योग
डायबिटीज व मोटापा से बचाव के लिए नियमित अाधा घंटा व्यायाम करें़ तेजी से चलने की अादत डालें़ योग का सहारा भी लिया जा सकता है. इससे डायबिटीज होने की संभावना कम होती है. योग एक्सपर्ट डॉ अर्चना कुमारी ने बताया कि पेट के स्ट्रेच वाले योग लाभकारी होते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
डायबिटीज का सबसे बड़ा कारण मोटापा व अनियंत्रित जीवनशैली है. हम व्यायाम नहीं करते है, जिससे शुगर लेवल बढ़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में भी लोग परिश्रम नहीं कर रहे है, जिससे वह भी डायबिटीज की चपेट में आ जाते है.
डॉ जेके मित्रा, विभागाध्यक्ष रिम्स