26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

चीता से कैसे अलग हैं बड़ी बिल्ली परिवार के अन्य सदस्य, जानें यहां

सभी को पता है कि पिछले दिनों अफ्रीकी देश नामीबिया से अपने देश में आठ चीते लाये गये हैं. चीता भी तेंदुआ, जगुआर, बाघ व शेर की तरह ही बड़ी बिल्ली परिवार का सदस्य है. ये सभी जानवर देखने में भी एक-दूसरे से मिलते-जुलते होते हैं. ऐसे में चीता, तेंदुआ, जगुआर, बाघ और शेर के बीच के भेद को जानना जरूरी है.

सभी को पता है कि पिछले दिनों कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकी देश नामीबिया (African country Namibia) से अपने देश में आठ चीते लाये गये हैं. चीता (Cheetah) भी तेंदुआ, जगुआर, बाघ व शेर की तरह ही बड़ी बिल्ली परिवार का सदस्य है. ये सभी जानवर देखने में भी एक-दूसरे से मिलते-जुलते होते हैं. कई बार तो लोग तेंदुआ को देखकर चीता समझ लेते हैं. ऐसे में चीता, तेंदुआ, जगुआर, बाघ और शेर के बीच के भेद को जानना जरूरी हो जाता है. तो आइए जानते हैं इनके बीच के अंतरों को…

चीता : धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर

बड़ी बिल्लियों के परिवार का सदस्य चीता धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला स्तनपायी जानवर है. कुछ ही सेकेंड में तेज रफ्तार पकड़ लेना ही चीता की पहचान है. जब यह पूरी ताकत से दौड़ रहा होता है, तो सात मीटर तक लंबी छलांग लगा सकता है. हालांकि, बहुत देर तक चीता अपनी रफ्तार बना कर नहीं रख पाता है. इस समय यह अफ्रीका और एशिया (सिर्फ ईरान) में पाया जाता है.

Also Read: Tourism: रहस्यों से भरा है जूनागढ़ का किला
बिग कैट फैमिली में चीता अकेला सदस्य

बिग कैट फैमिली में चीता अकेला ऐसा सदस्य है, जो दहाड़ नहीं सकता. चीता बिल्लियों की तरह गुर्राते व फुफकारते हैं. चीते की त्वचा थोड़ी भूरी और सुनहरी होती है. इसके चेहरे पर बहुत अधिक धब्बे और काली धारियां पायी जाती हैं. यह धारियां चीता की आंखों के भीतरी कोनों से नीचे मुंह के कोनों तक जाती हैं. इसके शरीर पर पाये जाने वाले धब्बे/चित्ते ही इसका नाम चीता पड़ने की वजह हैं.

शेर व बाघ के मुकाबले चीते होते हैं बहुत पतले

शेर व बाघ के मुकाबले चीते बहुत पतले होते हैं. इसके सिर भी काफी छोटे होते हैं. इसकी कमर भी बाकी के कैट फैमिली मेंबर के मुकाबले पतली होती है. चीता आमतौर पर सुबह (दिन के पहले हिस्से) या शाम के समय शिकार करना पसंद करता है, क्योंकि इस समय न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही अधिक अंधेरा होता है. रात में चीतों की हालत इंसानों जैसी ही होती है और इनके लिए रात में देख पाना भी मुश्किल होता है. चीतों को पेड़ पर चढ़ने में भी दिक्कत होती है. इनके बच्चे भी बड़ी मुश्किल से बचते हैं, क्योंकि मादा चीते को औसतन नौ बच्चों को अकेले ही पालना पड़ता है. ऐसे में शिकारी जानवरों, जैसे- शेर, लकड़बग्घे, बबून आदि के लिए चीतों के बच्चों का शिकार करना आसान हो जाता है. यह भी इस जानवर के विलुप्त होने की एक बड़ी वजह है. वर्ष 1952 में ही अपने देश से चीता विलुप्त हो गये थे. पिछले दिनों नामीबिया से 8 चीते यहां लाये गये हैं.

Also Read: Name of Cheetah: भारत लाए गए चीतों के नाम जानें, पीएम मोदी ने किया नामकरण
चीते की पहचान

  • वैज्ञानिक नाम : एसिनोनिक्स जुबेटस

  • जीवनकाल : 10-12 वर्ष

  • वजन : 36-65 किलोग्राम

  • रफ्तार : 95-120 किमी/घंटे

  • अपने देश में संख्या : 8

  • खास पहचान: शरीर पर गोल बिंदी जैसे धब्बे और चेहरे पर बहते आंसू जैसी धारी होती है.

तेंदुआ : रात के समय शिकार करना है पसंद

लोग अक्सर चीता व तेंदुआ के शरीर के काले धब्बे को देखकर कर उलझन में पड़ जाते हैं कि यह चीता है या तेंदुआ. हालांकि, चीते के शरीर पर जहां बिंदी जैसे गोल धब्बे होते हैं, वहीं तेंदुए के शरीर पर फूल की पंखुड़ियों जैसे धब्बे होते हैं. साथ ही तेंदुए के चेहरे पर कोई धारी नहीं होती. तेंदुआ छोटी टांगों वाला और लंबे शरीर का होता है. इसका सिर चीते की तुलना में बड़ा होता है. इसकी त्वचा का रंग भी हल्का पीला होता है. अपने देश के कई इलाकों में तेंदुए पाये जाते हैं. तेंदुआ, चीते के मुकाबले अधिक मस्कुलर भी होता है. यह हिरन जैसे जानवर का शिकार करने के बाद उसे पेड़ पर ऊपर ले जाने की ताकत रखता है.

तेंदुआ गुर्राते हैं

तेंदुए गुर्राते हैं, खर्राटे लेते हैं और कभी-कभी दहाड़ते भी हैं. चीता के मुकाबले तेंदुआ की सबसे अलग बात है कि यह रात में शिकार करता है. तेंदुओं में मेलानिज्म एक सामान्य घटना है, जिसमें जानवर की पूरी त्वचा काले रंग की होती है. एक मेलेनिस्टिक तेंदुए को अक्सर ब्लैक पैंथर भी कहा जाता है. भ्रांतिवश इसे अलग प्रजाति मान लिया जाता है, जबकि ऐसा है नहीं. तुम्हें जंगल बुक फिल्म का बघीरा जरूर याद होगा. वह एक तेंदुआ ब्लैक पैंथर है. अपने देश में तेंदुओं की सर्वाधिक आबादी मध्य प्रदेश में है, इसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान है.

तेंदुआ की पहचान

  • वैज्ञानिक नाम : पैंथेरा पार्डस

  • जीवनकाल : 12-17 वर्ष

  • वजन : 36-75 किलोग्राम

  • रफ्तार : 75-85 किमी/घंटा

  • अपने देश में संख्या : 12,852

  • खास पहचान- शरीर पर पंखुड़ियों जैसे धब्बे, वहीं चेहरे पर कोई धारी नहीं होती है.

शेर : समूह में करते हैं ये अपने बड़े शिकार

शेरों के लिए जंगल के राजा की उपाधि बहुत मशहूर है. हजारों कहानियों में तुम ऐसा पढ़ चुके होगे, लेकिन कई वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट इसे सच नहीं मानते. क्योंकि, बड़ी बिल्लियों के परिवार में शेर एकमात्र ऐसा जानवर है, जो एक साथ मिलकर समूह में शिकार करते हैं. ये एकसाथ मिलकर ही भोजन की तलाश भी करते हैं. आमतौर पर शेरों में प्रभुत्व का पदक्रम नहीं होता. शेर को पहचानना भी काफी आसान है. शेर की गर्दन और चेहरे पर काफी सारे बाल होते हैं. इनकी लंबाई तकरीबन 7 फुट होती है. शेर को दो उप प्रजातियों में विभाजित किया गया है.

अपने देश में 674 से ज्यादा शेर हैं

एक अफ्रीकी शेर (पैंथेरा लियो लियो) और दूसरे एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पर्सिका). शेर वन पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान पर मौजूद हैं, वह अपने आवास का शीर्ष शिकारी है, जो बाघ की तरह ही वनस्पति पर निर्भर रहने वाले जानवरों की आबादी को नियंत्रित कर पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने में मदद करता है. भारत एशियाई शेरों का प्रमुख आवास स्थान है और ये मुख्य तौर पर गिर राष्ट्रीय उद्यान (गुजरात) के संरक्षित क्षेत्र में निवास करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक, अभी अपने देश में 674 से ज्यादा शेर हैं.

शेर की पहचान

  • वैज्ञानिक नाम : पैंथेरा लियो

  • जीवनकाल : 9-16 वर्ष

  • वजन : 120-190 किलोग्राम

  • रफ्तार : 70-80 किमी/घंटा

  • अपने देश में संख्या : 674

  • खास पहचान- गर्दन और चेहरे पर काफी सारे बाल होते हैं.

बाघ : अपने देश का राष्ट्रीय पशु

बड़ी बिल्लियों के परिवार में बाघ आकार में सबसे बड़ा होता है. बाघ को इसके शरीर पर दिखायी देने वाली धारियों की वजह से पहचानना काफी आसान हो जाता है. शेरों, चीतों, तेंदुओं की तुलना में बाघ लंबे, अधिक मस्कुलर और आमतौर पर वजन में भारी होते हैं. बाघों के पैर मजबूत होते हैं और यह शेरों की तुलना में बहुत ज्यादा एक्टिव और फुर्तीले होते हैं. ये अक्सर अकेले ही शिकार करना पसंद करते हैं. बाघ तैरने में भी सक्षम होते हैं. बाघ दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन और भारत में पाये जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में दुनियाभर के जंगलों में बाघों की संख्या 5,578 है. दुनियाभर में सर्वाधिक बाघ भारत में पाये जाते हैं. खास बात है कि भारत, नेपाल, भूटान, रूस और चीन में बाघों की आबादी स्थिर या बढ़ रही है. बाघ एक अनूठा जानवर है, जो किसी स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बड़ी बिल्ली परिवार के ये जानवर, शाकाहारी जंतुओं और उस वनस्पति के मध्य संतुलन बनाये रखने में मदद करते हैं, जिस पर वे भोजन के लिए निर्भर होते हैं. यही वजह है कि इनका संरक्षण एक खूबसूरत जानवर को बचाना भर नहीं है.

बाघ की पहचान

  • वैज्ञानिक नाम : पैंथेरा टाइग्रिस

  • जीवनकाल : 8-10 वर्ष

  • वजन : 90-300 किलोग्राम

  • रफ्तार : 49-65 किमी/घंटा

  • अपने देश में संख्या : 2,967

  • खास पहचान- इसके शरीर पर लंबी-लंबी धारियां होती हैं, धब्बे नहीं.

रोचक बातें

  • भारत में चीतों की कमी को पूरा करने लिए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया है. इनमें से 5 मादा और 3 नर हैं.

  • अधिकांश स्पोर्ट्स कारों की तुलना में चीता ज्यादा तेजी से अपनी रफ्तार पकड़ लेता है. उनके शरीर की बनावट ऐसी होती है कि आगे का भाग मूवमेंट में सहायता प्रदान करता है.

  • शेर रेगिस्तान में भी रह सकते हैं. साथ ही वे अपने शिकार व पौधों से पानी की जरूरतों को पूरा कर लेने में सक्षम होते हैं.

  • तेंदुओं के धब्बे को रोसेट कहा जाता है, क्योंकि उनका आकार गुलाब के पंखुड़ियों जैसा होता है. ये पेड़ों की डाल पर आराम करना पसंद करते हैं.

  • जगुआर के बच्चे दो वर्ष के बाद परिवार से अलग आधिपत्य क्षेत्र की तलाश में निकल जाते हैं.

रिपोर्ट: विवेकानंद सिंह

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें