नयी दिल्लीः भारत में डिप्रेशन और सुसाइड की तरफ बढ़ने वाले लोगों की संख्या में दिन ब दिन बढोत्तरी देखी जा रही है. इंटरनेट पर भारत में हर महीने लगभग 6,600 लोग सर्च करते हैं आई वांट टू डाई. भारत में ही नहीं ब्लकि पूरी दुनिया में ज्यादातर युवा इस तरह का विचार अपने मन में लाते हैं. इस सर्वेक्षण में भी 15 से 29 साल के युवाओं की संख्या अधिक है. परीक्षा, प्यार में असफल होने वाले, दोस्तों के बीच हुई छोटी से खटपट को बड़ा समझने वाले युवा तुरंत ही अपनी हिम्मत हार जाते हैं.
भारत में आत्महत्या करने वालों की संख्या में लगातार बढोत्तरी देखी जा रही है. गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर मामले बेहद छोटे और आपसी बातचीत से सुलझ जाने वाले थे. युवा इस तरह के छोटे मामलों को बड़ी गंभीरता से ले लेते हैं उन्हें लगता है इसका कोई हल नहीं है और आत्महत्या का विचार उनके मन में आने लगता है. जरूरत है ऐसे लक्षणों को पहचान कर उनसे बात करने की. युवा जब निराशा की ओर बढ़ने लगते हैं तो उनके चेहरे का हावभाव और दिनचर्या यह बयां कर देती है कि वह किसी बास से परेशान है अगर सही वक्त पर उनके इस व्यवहार पर गौर नहीं किया गया तो आत्महत्या का बड़ा फैसला ले लेते हैं.
इससे पहले वह हर एक संभावनाओं की तलाश करते हैं और इसी कड़ी में एक कड़ी इंटरनेट की भी होती है. आज युवा इंटरनेट से इतना जुड़ा है कि एक क्लिक में अपनी समस्याओं का हल ढुढ़ने की कोशिश करता है और इसी जद्दोजहद में वह आत्महत्या के अपने विचार को भी इंटरनेट पर सर्च करने लगता है.