28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अभिनेता मनोज कुमार को मिलेगा ”दादासाहेब फाल्के” पुरस्‍कार, जानें कुछ खास ?

नयी दिल्ली : ‘पूरब और पश्चिम’, ‘उपकार’ और ‘क्रांति’ जैसी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मशहूर अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ आधिकारिक सम्मान दादा साहेब फाल्के अवार्ड के लिए चुना गया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 78 वर्षीय अभिनेता अवार्ड पाने वाले 47वें व्यक्ति हैं. भारतीय सिनेमा […]

नयी दिल्ली : ‘पूरब और पश्चिम’, ‘उपकार’ और ‘क्रांति’ जैसी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मशहूर अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार को भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ आधिकारिक सम्मान दादा साहेब फाल्के अवार्ड के लिए चुना गया है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 78 वर्षीय अभिनेता अवार्ड पाने वाले 47वें व्यक्ति हैं. भारतीय सिनेमा के इस सर्वोच्च सम्मान के तहत एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये नकद राशि और एक शॉल दिया जाता है. लता मंगेशकर, आशा भोसलें, सलीम खान, नितिन मुकेश और अनूप जलोटा वाले पांच सदस्यीय चयन मंडल ने सर्वसम्मति से कुमार के नाम की सिफारिश की.

‘हरियाली और रास्ता’, ‘वो कौन थी’, ‘हिमालय की गोद में’, ‘दो बदन’, ‘उपकार’, ‘पत्थर के सनम’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘शहीद’, ‘रोटी कपडा और मकान’ तथा ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों से मनोज कुमार ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर हो गए. हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी उर्फ मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद में हुआ था जो कि आजादी के पहले भारत का हिस्सा था.

वह जब दस साल के थे तो उनका परिवार दिल्ली आ गया था. हिंदू कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया और फिल्म जगत में करियर बनाने का फैसला किया. उन्होंने ‘कांच की गुडिया’ के साथ 1960 में अपना सफर शुरु किया और ‘हरियाली और रास्ता’ से पूरी तरह छा गए.

मनोज कुमार ने ‘हनीमून’, ‘अपना बनाके देखो’, ‘नकली नवाब’, ‘दो बदन’, ‘पत्थर के सनम’, ‘साजन’, ‘सावन की घटा’ जैसी रोमांटिक फिल्में दी. भगत सिंह के जीवन पर आधारित ‘शहीद’ फिल्म के बाद देशभक्ति आधारित फिल्मों में उनका खूब नाम हुआ.

कुमार ने ‘उपकार’ के साथ अपनी निर्देशकीय पारी की शुरुआत की. इस फिल्म के बारे में कहा जाता है कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चर्चित नारे जय जवान जय किसान से प्रेरित था. ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपडा और मकान’ और ‘क्रांति’ सहित कई फिल्मों में वह देशभक्ति के रंग में डूबे हुए नजर आए. ‘क्रांति’ में उन्हें अपने आदर्श दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला.

‘क्रांति’ के बाद उनका करियर ग्राफ गिरने लगा. वर्ष 1995 में ‘मैदान ए जंग’ में दिखने के बाद उन्होंने अभिनय को अलविदा कह दिया और अपने बेटे कुणाल गोस्वामी को लांच करने के लिए 1999 में फिल्म ‘जय हिंद’ के निर्देशन की कमान संभाली लेकिन टिकट खिडकी पर यह फिल्म नहीं चल पायी.

अभिनेता को ‘उपकार’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड मिला और 1992 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से नवाजा. अभिनेता अनुपम खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर ने अवार्ड मिलने पर उन्हें मुबारकबाद दी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें