अनुप्रिया अनंत
तिग्मांशु धुलिया को राजनीति में बेहद दिलचस्पी है. इस बात का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी फिल्मों में राजनीति के दावं-पेंच जरूर नजर आते हैं. तिग्मांशु ने इस बार भी वही विषय चुना है. गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच दो दोस्तों की कहानी है बुलेट राजा.
उतर प्रदेश की राजनीति पर किरदारों के उलटफेर से कटाक्ष करने की भी कोशिश की गयी है. राजा और रूद्र को राजनीति के राम और लखन के रूप में दिखाया गया है. कहानी 60-70 के दशक में रची जाने वाली कहानियों में से ही एक है. लेकिन तिग्मांशु की फिल्म की खासियत है कि वे किरदारों की बारीकियों पर काफी काम करते हैं. उनके हर छोटे-बडे. किरदार फिल्म में बेमतलब नजर नहीं आते. उनका कोई न कोई महत्वपूर्ण योगदान होता ही है. बुलेट राजा में भी उन्होंने इस खूबी को बखूबी प्रस्तुत किया है. जिम्मी शेरगिल तिग्मांशु की फिल्म में हमेशा जान डालते हैं.