हिंदी सिनेमा की दिग्गज अदाकारा अरुणा ईरानी छोटे पर्दे पर भी काफी लोकप्रिय हैं. वह जल्द ही स्टार प्लस के शो ‘दिल तो हैप्पी है जी’ में नजर आनेवाली हैं. वह इस शो के शीर्षक को खास करार देती हैं. वे अपनी जिंदगी से इस शीर्षक से जोड़े रखना चाहती हैं. अरुणा ईरानी की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
-इस सीरियल और टीवी सिनेरियो को किस तरह पाती हैं?
शो में मैं दादी के किरदार में हूं. इस सीरियल का बैकग्राऊंड पंजाबी है इसलिए थोड़ा लहजा पकड़ना पडा. उस स्टाइल पर बस काम करना पड़ा. टेलिविजन में अच्छा बदलाव आया है. सिर्फ लुक ही नहीं बल्कि मेकिंग में भी. यकीन ही नहीं होता कि टीवी सीरियल इतने बड़े स्केल पर बनते हैं. लोग बोलते हैं टीवी रेग्रेसिव है. नाग-नागिन और न जाने क्या-क्या. सभी लोग यहां बिजनेस के लिए हैं तो क्यों कोई दूसरी चीज बेचकर अपना नुकसान करें.
-आप टीवी पर क्या देखना पसंद करती हैं?
मैं बहुत कम टीवी में ये सब प्रोग्राम देखती हूं. मैंने तो अपने इस शो का ही प्रोमो नहीं देखा है. मेरी सहेलियों ने देखा तो वे मुझे बताती हैं. मुझे शेयर मार्केट में बहुत रुचि है. घर में झगड़े होते हैं कि क्या तू अख्खा दिन यही देखती रहती है. सात आठ साल से मेरी रुचि इसमें हुई है. जब से मेरा प्रोडक्शन हाउस बंद हुआ उसके बाद मैंने शेयर मार्केट में अपनी रुचि बढ़ा ली.
-क्या वजह थी जो आपने अपना टीवी प्रोडक्शन हाउस बंद कर दिया?
वो वक्त था कर लिया अब संभव नहीं है. इस उम्र में मैं कोई स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज नहीं चाहती हूं. काम का बहुत टेंशन होता है. आप इस उम्र में वो सब मैनेज नहीं कर सकते हो इसलिए मैंने बंद कर दिया.
-आप एक लंबे समय से टीवी का भी हिस्सा हैं. क्या टीवी में आपके दोस्त बने हैं?
जब तक काम करते हैं. बहुत अच्छी बॉन्डिंग हो जाती है. यहां तक कि सेट पर खाना भी साथ खाते हैं. आपका इंतजार होता है, लेकिन जैसे शो खत्म हो जाता है. दो चार दिन बाद सब अपनी-अपनी दुनिया में चलें जाते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं. जिंदगी ऐसी ही है.
-फिल्मों में इन दिनों न्यू एज सिनेमा देखने को मिल रहा है क्या उससे जुड़ने की इच्छा होती है?
आज के फिल्मकारों के लिए हम प्राचीन इतिहास हो गये हैं तो वो हमें अप्रोच नहीं करते हैं. वैसे मैंने 2000 से ही फिल्में करना बंद कर दी थी क्योंकि रोल नहीं मिलते थे. जो हीरोज थे वो बाप के रोल करने लगे थे. यहां टेलीविजन पर हमें सेंट्रल किरदार मिलते हैं तो जो अच्छा है वही करो न. घर पर मत बैठो वरना डिप्रेशन आ घेरेगा.
-क्या आप किसी परिचित एक्टर को जानती हैं जो डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं.
कादर भाई हमारे बीच नहीं रहे उनके साथ यही हुआ था. उनकी तबीयत बिगड़ी कब से जब से उनका कैरियर खत्म हुआ मेरी कुछ दिनों पहले मेरी भाभी (कादर खान की पत्नी) के साथ बात हुई तो उनसे पूछा कि क्या हुआ था भाई को तो उन्होंने कहा कि अरुणा कुछ भी नहीं. बस जब से उन्होंने काम बंद किया वे चिडचिड़े हो गये थे. उन्होंने अपने आप को एकदम अकेला कर लिया था.
-क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड अपने ही कलाकारों की अनदेखी करता है?
ऐसा नहीं है. बॉलीवुड किसी आर्टिस्ट की अनदेखी नहीं करता है जब तक वो चलता है उसके साथ रहता है.
-आपकी आम दिनचर्या क्या होती है?
मैं लोगों को टच में रहती हूं. सुबह एक्सरसाइज से मेरे दिन की शुरुआत होती है फिर अपनी डॉगी के साथ 45 मिनट वॉक पर जाती हूं. वापस शूटिंग से आती हूं. फिर डॉगी को लेकर 45 मिनट तक वॉक पर ले जाती हूं . उसके बाद तो थक कर सो जाती हूं.
-पुराने एक्टर्स के साथ क्या आपकी बॉन्डिंग है? आशा पारेख जी के साथ.
आशाजी से मिलती हूं तो लगता है कि सालों के बिछड़े मिले हैं. हमारी बातचीत होती है तो ये भी कहा जाता है कि मिलते रहना चहिए, लेकिन फिर उसके बाद मिलना बंद. आशा भोंसले से मिलती रहती हूं. वो कमाल की पॉजिटिव लेडी हैं. बीमार रहेंगी, लेकिन चार दिन बाद ठीक होंगी तो फिर उसका जिक्र नहीं करेंगी. बोलेगी निकाल फेंका बीमारी को.
-आपकी अब क्या ख्वाहिश है
मैं अपने लास्ट डे तक काम करुं. शूटिंग करती रहूं ताकि डिप्रेशन तन्हाई वो सब जिंदगी में न आये.