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अभिनेता को एक तरह की शैली में समेट दिया जाता है : संजय मिश्रा

मुंबई : अभिनेता संजय मिश्रा ने हास्य भूमिका करके अपने अभिनय कॅरियर में अलग पहचान बनायी है लेकिन उनका मानना है कि एक तरह की शैली में अभिनेता को समेट दिया जाता है. ‘फंस गये रे ओबामा’, ‘गोलमाल श्रृंखला , ‘आल द बेस्ट’ और ‘धमाल’ जैसी फिल्मों के 54 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि भूमिकायें […]

मुंबई : अभिनेता संजय मिश्रा ने हास्य भूमिका करके अपने अभिनय कॅरियर में अलग पहचान बनायी है लेकिन उनका मानना है कि एक तरह की शैली में अभिनेता को समेट दिया जाता है. ‘फंस गये रे ओबामा’, ‘गोलमाल श्रृंखला , ‘आल द बेस्ट’ और ‘धमाल’ जैसी फिल्मों के 54 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि भूमिकायें बेहद अच्छी थी और दर्शकों की प्रतिक्रिया भी संतोषजनक थी.

मिश्रा ने एक साक्षात्कार में बताया , ‘मेरे सबसे अच्छे दौर की शुरूआत 2010 में ‘ फंस गया रे ओबामा’ के साथ हुई थी. अन्यथा मुझे हास्य भूमिका में समेट दिया गया होता. यदि मैं केवल हास्य भूमिकायें करता रहता तो बेहद खराब होता.’

उन्होंने कहा , ‘‘यहां , हम हर किसी पर ठप्पा लगा देते है. यह कॉमेडियन है , यह हीरो है , यह चरित्र अभिनेता है. क्यों ? हर कोई अभिनेता है. मुझे इस तरह के ठप्पे से बहुत समस्या होती है.’ हालांकि , मिश्रा ने कहा कि फिल्मों के जरिये उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला.

फिल्म ‘ आंखो देखी ‘ के बारे में उन्होंने बताया कि रजत कपूर ने इस फिल्म की चर्चा की उस वक्त में दायरे के बाहर कुछ करना चाहता था. लेकिन उन्होंने इसमें काम करने से मना कर दिया. इसके बाद रजत ने नसीरूद्दीन शाह को पटकथा दी. उसने बाद उन्होंने बताया कि नसीर भाई को यह बहुत पसंद आयी.उन्हें लगता है कि अच्छा होगा यदि वह इस फिल्म को करना चाहिए.

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