साउथ के सुपर-डूपर स्टार रजनीकांत अपने प्रशंसकों के सामने इस बार कबाली बन कर आये हैं. मलयेशियाई गैंगस्टर के जीवन पर आधारित इस फिल्म का जादू दुनियाभर में छाया है. विमान कंपनी एयर एशिया ने जहां अपने विमान को कबाली के रंग में रंग दिया, वहीं मलेशियाई सरकार ने कबाली पर एक डाक टिकट जारी किया है. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड्स तोड़ते हुए पहले ही दिन 40 करोड़ से ज्यादा की कमाई की. यह कबाली का जादू है या रजनीकांत का, आइए जानें.
वे सुपर से भी ऊपर के स्टार हैं. नाम है शिवाजी राव गायकवाड़, जिन्हें लोग रजनीकांत के रूप में ज्यादा जानते हैं. उम्र लगभग 65 साल. लेकिन स्टाइल ऐसा, जिस पर दुनिया दीवानी है. तभी तो केरल हो या कैलिफोर्निया, उनकी फिल्में रिलीज होने से पहले ही हाउसफुल हो जाती हैं. लेकिन, सादगी ऐसी कि चेन्नई की सड़कों पर अगर जाम लग जाये और रजनी वहां से गुजर रहे हों, तो वह अपनी कार से उतर कर जाम हटाने में लग जाते हैं.
दरअसल वह अपनी जड़ों को भूले नहीं हैं. एक बस कंडक्टर से भारतीय सिने जगत के सबसे सफल कलाकार बनने की उनकी कहानी भी कम फिल्मी नहीं है.
12 दिसंबर, 1950 को कर्नाटक के एक मराठी परिवार में जन्मे शिवाजी राव गायकवाड़ उर्फ रजनीकांत का बचपन गुरबत के साये में बीता. स्थानीय आचार्य पाठशाला और बेंगलुरु के रामकृष्ण मिशन से पढ़ाई पूरी करनेवाले रजनी ने जिंदगी की गाड़ी बढ़ाने के लिए कूली और कंडक्टर का काम किया.
फिल्मों में अपना दम आजमाने की हसरत थी, इसलिए अभिनय की बारीकियां सीखने चेन्नई गये. वहां फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाने के बाद के बालाचंदर की फिल्म ‘अपूर्व रागांगल’ से ख्याति पायी. कहते हैं कि आज तक रजनी की कोई भी फिल्म फ्लॉप नहीं हुई. रजनी ने अपने खास अभिनय के दम पर हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में वह मुकाम हासिल किया है, जिसके आस-पास भी कोई नहीं पहुंच पाया.
वैसे तो भारतीय सिने जगत में हीरो की कमी नहीं है, लेकिन रजनीकांत जैसा हीरो कोई नहीं है.
65 वर्ष की उम्र में हीरो के रूप में फिल्म को लीड करने की कला सबके बस की बात भी नहीं है. उनके चलने, बोलने, नाचने, मार-धाड़ करने और इन सबसे बढ़ कर बाल झटकने का अंदाज ही निराला है. रजनी के प्रशंसक उनके चाहनेवाले बन गये हैं, जो उनका मंदिर बनवाते हैं, फिल्म की रिलीज पर उनके विशालकाय पोस्टर्स और कट-आउट्स को दूध से नहलाते हैं, उनकी फिल्म को फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने के लिए लंदन से मुंबई आ जाते हैं.
सुबह तीन बजे का शो भी हाउसफुल कर डालते हैं. लेकिन, रजनी अपने इस बेमिसाल ‘फैन बेस’ को ‘कैश’ नहीं करते. अन्य सितारे जहां साबुन से लेकर कार तक के ब्रांड्स को प्रोमोट करते हैं, वहीं रजनी इस सबसे कोसों दूर रहते हैं. दरअसल, रजनी की फिल्मों से ज्यादा बड़ी छवि उनकी खुद की है. फिल्म विश्लेषक भी मानते रहे हैं कि रजनी की फिल्मों में सिर्फ और सिर्फ स्टाइल ही होता है. अगर उनकी फिल्मों से उन्हें, यानी रजनी को निकाल दिया जाये, तो फिल्म में कुछ नहीं बचेगा़ लेकिन, फिर भी उनकी फैन फॉलोइंग ऐसी है कि लोगों को इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि रजनी की फिल्म कैसी लगी, बल्कि यही पूछा जाता है कि रजनी की फिल्म कब आ रही है. रजनी परदे पर जितने अच्छे कलाकार हैं, परदे के बाहर उतने ही अच्छे इनसान भी हैं.
शूटिंग पर समय के पाबंद, साथी कलाकारों से अच्छा व्यवहार, प्रशंसकों का हाथ जोड़ कर अभिवादन करना उनकी पहचान है. सावले रंग और आम कद-काठी के इस कलाकार के प्रशंसकों में समाज के साधारण तबके की तादाद ज्यादा है. कहा तो यहां तक जाता है कि उनके एक इशारे पर तमिलनाडु की राजनीति करवट ले सकती है. फिर भी उनमें लेशमात्र भी घमंड नहीं है.
‘थलैवा’ (यानी लीडर, बॉस) और ‘किंग ऑफ स्टाइल’ के रूप में अपने प्रशंसकों के बीच पहचान बना चुके रजनी रूपहले परदे पर जितने भी स्टाइलिश लगें, लेकिन परदे के बाहर उनके जैसी साधारण वेश-भूषा वाला स्टार शायद ही आपको सिने जगत में मिले. परदे पर हमेशा जवान नजर आनेवाले रजनी परदे के बाहर जवान दिखने की कोशिश भी नहीं करते हैं.
सांवला रंग, थोड़ा गंजा हो चुका सिर और साधारण पहनावा देख कर आप सोच भी नहीं सकते कि यह शख्स इतना बड़ा फिल्म स्टार है. अध्यात्म और राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखनेवाले रजनी अपने प्रशंसकों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए सार्वजनिक स्थलों पर जल्दी अपनी राय व्यक्त नहीं करते.
इंटरनेट की दुनिया में भी वह काफी मशहूर हैं. जब वह ट्विटर पर पदार्पण करते हैं, तो उसकी साइट क्रैश कर जाती है. उन पर बने हजारों चुटकुले आपको सोशल साइट्स पर मिल जायेंगे. रजनी के प्रशंसक ऐसा मानते हैं कि जो रजनी कर सकते हैं, वह कोई नहीं कर सकता. वाकई… रजनीकांत जैसा कोई नहीं!