सत्तर के दशक में हिंदी फिल्मों में दो भाइयों का बिछुड़ जाना और फिर कुंभ के मेले में मिलना किसी फार्मूलाफिल्म केपटकथा का हिस्सा हुआ करती थी. दो भाईयो के बीच संघर्ष और रिश्ते में तनाव को लेकर कई फिल्में बन चुकी है लेकिन दीवार का मशहूर डयलॉग – मेरे पास मां है. दो भाईयों के संघर्षपूर्ण रिश्ते का यह इकलौता डायलॉग आम भारतीय परिवार की नियति का प्रतीक वाक्य बन गया.
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शशि कपूर : दीवार का वह डायलॉग जो भारतीय परिवारों का प्रतीक वाक्य बन गया
सत्तर के दशक में हिंदी फिल्मों में दो भाइयों का बिछुड़ जाना और फिर कुंभ के मेले में मिलना किसी फार्मूलाफिल्म केपटकथा का हिस्सा हुआ करती थी. दो भाईयो के बीच संघर्ष और रिश्ते में तनाव को लेकर कई फिल्में बन चुकी है लेकिन दीवार का मशहूर डयलॉग – मेरे पास मां है. दो भाईयों […]
फिल्म में शशि कपूर और अमिताभ पुल के नीचे मिलते हैं. यहां दो भाई पुलिस और अपराधी के रूप में मिलते हैं लेकिन संवाद उनके निजी जीवन का चलता है.. विजय यानी अमिताभ बच्चन कहते हैं- "मेरे पास बैंक-बैलेंस है, बंगला है, गाड़ी है, तुम्हारे पास क्या है…? जवाब में रवि यानी शशि कहते हैं- "मेरे पास मां है."
क्यों मशहूर है – मेरे पास मां है
बेरोजगारी और कुंठा के हालत में पैदा हुई परिस्थितियां दोनों भाइयों को एक – दूसरे से अलग कर देती है. जब दोनों एक दूसरे से मिलने की कोशिश करते हैं तो प्रोफेशनल और निजी रिश्ते टकराने लगते हैं. परिवार की पृष्ठभूमि गरीबी की हैं. दोनों बेटे मां के करीब है लेकिन अपराध की दुनियाकी वजह से अमिताभ बच्चनपरिवार से दूर हो जाते हैं. मनुव्वर राणा की पंक्तियों में कहे तो – किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में मां आयी.आज भी आम भारतीय परिवार में उस भाई को सम्मानकी निगाह से देखा जाता है, जिनके हिस्से मां आती है.
शशि कपूर और अमिताभ बच्चन दोनों ने 1974 से 1991 के बीच अमिताभ बच्चन के साथ वे 12 फिल्मों (रोटी, कपड़ा और मकान, दीवार, कभी-कभी, ईमान धरम, त्रिशूल, काला पत्थर, सुहाग, दो और दो पांच, शान, सिलसिला, नमक हलाल, और अकेला) में बतौर को-स्टार काम किया.
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