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न्यूज पेपर के सर्कुलेशन डिपार्टमेंट में काम करने वाले प्रेम चोपड़ा हीरो बनते-बनते ऐसे बन गये विलन
अभिनेता प्रेम चोपड़ा कभी विलन नहीं बनना चाहते थे. इनकी की तमन्ना फिल्मों में हीरो बनने की थी, लेकिन काम ना मिलने और मेहबूब साहब की फिल्म शुरू होने में देर होने के कारण उनपर हमेशा के लिए विलन का ठप्पा लग गया. एक विलन के तौर पर प्रेम चोपड़ा ने दर्शकों की जितनी वाहवाही […]
अभिनेता प्रेम चोपड़ा कभी विलन नहीं बनना चाहते थे. इनकी की तमन्ना फिल्मों में हीरो बनने की थी, लेकिन काम ना मिलने और मेहबूब साहब की फिल्म शुरू होने में देर होने के कारण उनपर हमेशा के लिए विलन का ठप्पा लग गया. एक विलन के तौर पर प्रेम चोपड़ा ने दर्शकों की जितनी वाहवाही लूटी, उतनी शायद ही किसी और को नसीब नहीं हुई.
इन्होने अपने पूरे कैरियर में लगभग 320 फिल्मों में काम कर फिल्म इंडस्ट्री में काफी नाम और शौहरत कमाई. बॉलीवुड में वह जाने माने विलन के तौर पर उभरकर सामने आए. पर इनके माता पिता चाहते थे कि वह अच्छी पढ़ाई लिखाई करें और डॉक्टर या आएएस अफसर बनें. लेकिन प्रेम चोपड़ा की किस्मत उन्हें सिनेमा के रास्ते पर ले आई.
न्यूज पेपर के सर्कुलेशन डिपार्टमेंट मेंभी कर चुके हैं काम
भारत विभाजन के बाद प्रेम चोपड़ा के माता पिता शिमला आ बसे थे. शिमला में ही प्रेम चोपड़ा की आरंभिक पढ़ाई-लिखाई हुई. इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से अपने ग्रेजुएशन पूरी की. बस इसी दौरान उन्हें एक्टिंग का चस्का लग गया और उन्होंने एक कलाकरा बनने की ठान ली.
पढ़ाई पूरी करते के साथ ही वह मुंबई आ गए. इस दौरान प्रेम ने एक्टर बनने के लिए खूब स्ट्रगल किया. अपने स्ट्रगल के दिनों में प्रेम कोलाबा के कई गेस्ट हाउस में ठहरा करते थे. हीरो बनने की चाह रखने वाले प्रेम ने सबसे पहले अपना पोर्टफोलियो बनाया और उसे लेकर दर-दर भटकते थे. शुरुआत में उन्होंने कई पंजाबी फिल्मों में काम किया. इसके बाद उन्हें हिंदी फिल्में भी मिलनी शुरू हो गईं. इस दौरान उन्होंने जॉब के तौर पर पेपर भी बेचा. प्रेम चोपड़ा ने टाइम्स ऑफ इंडिया के पेपर सर्कुलेशन डिपार्टमेंट में भी काम कर चुके हैं.
‘चौधरी करनाल सिंह’ में हीरो बने थे प्रेम
पंजाबी फिल्म प्रोड्यूसर जगजीत सेट्ठी ने प्रेम चोपड़ा को फिल्मों में उनकी जिंदगी का पहला ब्रक दिया था. फिल्म का नाम था ‘चौधरी करनाल सिंह’. इस फिल्म में वह जसबीन के हीरो बने थे. वहीं उनकी डेब्यू फिल्म एक हिंदू मुस्लिम रोमांटिक लवस्टोरी थी. इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. इस फिल्म के लिए उन्हें 2500 रुपए फीस के तौर पर मिले थे. फिल्म वो कौन थी से उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक मुकाम हासिल हुआ.
और िफर विलन बन गये प्रेम
शनिवार को मेहबूब साहब उस वक्त ‘सन ऑफ इंडिया’ शुरू कर चुके थे. वे अपनी अगली फिल्म में उन्हें हीरो लेना चाहते थे. लेकिन उनकी फिल्म शुरू नहीं हो पा रही थी और मेरे सब्र का पैमाना छलका जा रहा था.
इस दौरान ‘वह कौन थी’ में विलन का रोल मिल गया. मैंने वह स्वीकार कर लिया और इस प्रकार विलन बन गया. फिल्म ‘वह कौन थी’ में विलेन बनने के पश्चात जब महबूब साहब ने फिल्म देखी तो बहुत नाराज हुए और कहने लगे अगर तुम इंतजार करते तो मैं तुम्हें हीरो बना देता, लेकिन अब जबकि तुम विलन बन गये हो तो अब तुम्हें हीरो के रोल में नहीं ले सकता.
उस वक्त मैं मजबूर था और अधिक इंतजार नहीं कर सकता था. दरअसल शुरू में कलाकार की कोई पसंद नहीं होती, उस समय वह केवल काम चाहता है और मुझे इस फिल्म के बाद विलन के रोल मिलने लगे और मैं विलन बन गया. आजतक 70-80 फिल्मों में विलन की भूमिका निभा चुका हूं. जिनमें से चालीस-पचास सिल्वर जुबिली और चार-पांच गोल्डन जुबिली फिल्में है.
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