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Chenab Bridge: कौन हैं डॉ. माधवी लता? IISc बेंगलुरु की प्रोफेसर ने चिनाब ब्रिज को बनाया ‘अटूट’

Chenab Bridge: चिनाब ब्रिज को दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल कहा जाता है लेकिन इसकी मजबूती के पीछे हैं डॉ. माधवी लता. IISc बेंगलुरु की प्रोफेसर ने 17 साल तक इसकी चट्टानों और ढलानों पर रिसर्च की. उनकी मेहनत और विज्ञान ने इस पुल को अडिग और सुरक्षित बनाया.

Chenab Bridge: भारत की महिला वैज्ञानिकों में एक बड़ा नाम हैं डॉ. जी. माधवी लता. उन्होंने अपने वैज्ञानिक ज्ञान और कड़ी मेहनत से दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल ‘चिनाब ब्रिज’ को मजबूत और सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाई. आइए जानते हैं डॉ. जी. माधवी लता के बारे में विस्तार से.

चिनाब ब्रिज: दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल (Chenab Bridge)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चिनाब ब्रिज, जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बना एक शानदार रेलवे पुल है. यह न केवल भारत का, बल्कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है. इसका निर्माण तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यह पुल पहाड़ी इलाके और अस्थिर चट्टानों के बीच बनाया गया है.

डॉ. माधवी लता कौन हैं? (Chenab Bridge)

डॉ. जी. माधवी लता भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में सिविल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर हैं. वह Slope Stability (ढलानों की स्थिरता) की विशेषज्ञ हैं, जो खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में पुल या इमारत की नींव को मजबूत बनाने में मदद करता है.

दुनिया ने देखी 17 साल की मेहनत (Chenab Bridge)

डॉ. लता ने चिनाब ब्रिज पर लगभग 17 साल तक काम किया. इस दौरान उन्होंने चट्टानों की जांच, भूकंप और भूस्खलन की आशंका को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा से जुड़े इंजीनियरिंग समाधान तैयार किए. उनका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना था कि पुल की नींव चट्टानों पर मजबूती से टिक सके.

भारतीय महिला इंजीनियरों के लिए एक मिसाल (Chenab Bridge)

डॉ. माधवी लता ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं भी तकनीकी और निर्माण जैसे कठिन क्षेत्रों में अच्छा काम कर सकती हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई और भारत की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गईं.

एक महिला, एक प्रेरणा (Chenab Bridge Female Engineer)

डॉ. जी. माधवी लता की कहानी सिर्फ एक इंजीनियर की नहीं, बल्कि एक जुनून और समर्पण की मिसाल है. उन्होंने यह दिखाया कि मजबूत इच्छाशक्ति, सटीक योजना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोई भी कठिन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उनकी यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों, खासकर लड़कियों को विज्ञान और इंजीनियरिंग में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.

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Shubham
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