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सहारा के निवेशकों का पता नहीं, पर सेबी की जेब हो रही है ढीली

नयी दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा सहारा के सही निवेशकों को ढूंढने का काम ‘बेकार’ जा रहा है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया बाजार नियामक के लिए काफी महंगी साबित हो रही है. अनुमान है कि इस प्रक्रिया पर सेबी का खर्च चालू वित्त वर्ष में 60 करोड रुपये रहेगा और अगले वित्त […]

नयी दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा सहारा के सही निवेशकों को ढूंढने का काम ‘बेकार’ जा रहा है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया बाजार नियामक के लिए काफी महंगी साबित हो रही है. अनुमान है कि इस प्रक्रिया पर सेबी का खर्च चालू वित्त वर्ष में 60 करोड रुपये रहेगा और अगले वित्त वर्ष में यह और बढ सकता है. यह बेहद चर्चित मामला निवेशकों का 24,000 करोड रपया 15 प्रतिशत के सालाना ब्याज के साथ लौटाने से जुडा है. उच्चतम न्यायालय ने अगस्त, 2012 में सहारा से कहा था कि वह सभी दस्तावेज जमा कराए और सेबी के पास पैसा जमा कराए जो सही निवेशकों को लौटाया जा सके.

सूत्रों ने बताया कि सेबी का मानना है कि सहारा समूह द्वारा जमा कराए दस्तावेजों को संभालने की लागत 2014-15 में और बढ सकती है, क्योंकि समूह द्वारा कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दिए जा सकते हैं. इन दस्तावेजों में सहारा द्वारा प्रापर्टी डीड्स के अलावा स्कैंड दस्तावेज शामिल हैं. उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि रिफंड की प्रक्रिया में सेबी द्वारा किए गए समूचे खर्च की अदायगी सहारा करेगा.

नियामक ने अब सहारा द्वारा जमा कराई गए 5,120 करोड रुपये का एक हिस्सा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को पूरा करने के लिए किए गए खर्च के भुगतान के लिए करने की अनुमति मांगी है. कई माह के विलंब के बाद सहारा ने अंतत: सेबी के पास 5.28 करोड दस्तावेज जमा कराए थे। समूह ने जो दस्तावेज दिए थे उनका कोई ठीकठाक डाटाबेस नहीं दिया गया था। सेबी ने सभी दस्तावेजों की स्कैनिंग का काम पूरा कर लिया है और इनकी कंप्यूटर फाइल्स बनाई हैं जो 70 टेराबाइट्स यानी करीब 20 करोड इमेज की हैं. इस तरह की स्टोरेज क्षमता की हार्डडिस्क में तीन करोड से ज्यादा गाने स्टोर किए जा सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि स्कैनिंग का काम पूरा हो गया है, लेकिन डाटा एंटरी का काम संभवत: अभी किया जाना है.

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