नयी दिल्ली: यूरोप में जर्मनी को भारत का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक साझीदार करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भारत के ढांचागत क्षेत्र में जर्मन कंपनियों के लिए निवेश की विशाल संभावनाएं हैं.
जर्मनी के राष्ट्रपति जोआचिम गॉक के सम्मान में दिए गए भोज में मुखर्जी ने कहा कि भारतीय कंपनियां तेजी से जर्मनी में निवेश बढ़ा रही हैं और अधिग्रहण सौदे कर रही हैं. ‘‘ इसके बदले, भारत अपने आधारभूत ढांचे में जर्मन कंपनियों से निवेश बढ़ाने की उम्मीद करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ साथ ही भारत अपने तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजार में जर्मनी की लघु एवं मझोली कंपनियों की भागीदारी की भी संभावनाएं देखता है.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2012 में भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापार 17.5 अरब यूरो का था, लेकिन दोनों देशों के बीच वाणिज्य बढ़ाने की इससे कहीं अधिक संभावना है.
क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों के बीच मजबूत साझीदारी को रेखांकित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में मौलिक सुधार के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को गर्व है कि जर्मनी यूरोप में न केवल उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, बल्कि विकास सहायता को भी वह बहुत महत्व देता है.राष्ट्रपति भवन द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, मुखर्जी ने कल कहा कि इस सहायता से उन्नत प्रौद्योगिकी भारत में लाने में मदद मिली है और अक्षय उर्जा के वैकल्पिक स्नेत बढ़ाने में भारत की उर्जा कार्यकुशलता बढ़ी है. जर्मनी को एक पुराना एवं अच्छा मित्र बताते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत साझा मूल्यों के आधार पर जर्मनी के साथ रणनीतिक साझीदारी को उच्च प्राथमिकता देता है.जर्मनी के राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत और जर्मनी सुरक्षा, विकास, वैश्विक व्यापार व जलवायु संरक्षण जैसे वैश्विक मुद्दों पर एक.दूसरे के साथ बेहतर तालमेल बिठाते हैं.
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