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चिनगारियां नहीं, फूल बरसते हैं आतिशबाजी से

* ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति के लिए मद्रास की कंपनियों ने बनायी फूलों की आतिशबाजी * ‘ वल्व-105’ से बल्व टाइप लाइट और कृत्रिम फूलों की होती है वर्षा * दीपावली की तुलना में लग्न की आतिशबाजी 30 से 35 प्रतिशत महंगी * पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, सीवान, रक्सौल, छपरा और वैशाली में तीन हजार […]

* ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति के लिए मद्रास की कंपनियों ने बनायी फूलों की आतिशबाजी

* ‘ वल्व-105’ से बल्व टाइप लाइट और कृत्रिम फूलों की होती है वर्षा

* दीपावली की तुलना में लग्न की आतिशबाजी 30 से 35 प्रतिशत महंगी

* पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, सीवान, रक्सौल, छपरा और वैशाली में तीन हजार खुलीं दुकानें

* लग्न में 15 से 20 करोड़ की आतिशबाजी का होता है बिहार में व्यापार

रामनरेश चौरसिया

शादी-विवाह का मौसम आया, तो आतिशबाजी को ध्वनि प्रदूषण से मुक्त करने का भी पटाखा निर्माता कंपनियों ने उपाय ढूंढ़ लिया. लगन में दीपावली से थोड़े ही कम पटाखों की बिक्री हो रही है. लगन में बुलेट और चटाई बम नहीं, ‘105 वल्व’, ‘क्रैक रिंग’ और ‘शुभ-विवाह शॉट’ की बिक्री चरम पर है.

लगन में पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, सीवान, रक्सौल, छपरा और वैशाली शादी-विवाह के पटाखों की बड़ी मंडी बन गयी हैं. ऐसे जिलों में तीन हजार से ऊपर दुकानें खुल गयी हैं. शादी-विवाह के लिए पटाखें खरीदने पर लोगों को सामान्य पटाखों से 30 से 35 प्रतिशत अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है.

एक मई से पांच जून तक इस बार लगन है. लगन में पटाखा खरीदने-बेचनेवालों की हर जिले में भीड़ लगी है. विवाह-मंडप और तोरण द्वार के साथ-साथ बारात में पटाखा छोड़ने की भी परंपरा बन गयी है. बिना आतिशबाजी वाले बारात को इन दिनों तवज्जो नहीं मिल रहा. बारात में खास कर युवा वर्ग आतिशबाजी करने से खुद को नहीं रोक पा रहे हैं. दीपावली में शोर और प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए सरकार ने बड़े धमाकेवाले पटाखों के निर्माण पर तीन वर्ष पहले ही प्रतिबंध लगा दिया है. यही वजह है कि बुलेट और स्टैंडर्ड बमों की बिक्री कम हो गयी है. अब तो धमाकेवाले आसमान तारों का भी निर्माण न के बराबर हो रहा है.

फुलझड़ी, जिसमें चिनगारी नहीं

शादी-विवाह के लिए पटाखा निर्माण में आज भी मद्रास की शिवाकाशी का ही एक छत्र राज्य है. शिवा काशी की क्लासिक, कैलेशवरी, राजेश्वरी, कोयलवरी, चिदंबरम और दुर्गेश जैसी कंपनियों ने शादी-विवाह के लिए अलग किस्म के पटाखों का निर्माण किया है. शादी-विवाह और बारात में छोड़ने के लिए मद्रास की कंपनियों ने ‘वल्व-105’ का निर्माण किया है. यह ऐसी फुलझड़ी है, जिससे चिंगारियां नहीं़, बल्कि आसमान से बल्व टाईप लाइट और कृत्रिम फूलों की वर्षा होती है.

‘शुभ-विवाह शॉट पाइप’ से सिर्फ कृत्रिम फूलों की बरसात होती है. पटाखों की कीमत बढ़ने के कारण संपन्न परिवार के लोग तो पांच से 20 हजार रुपये तक के पटाखें खरीद लेते हैं, किंतु निम्न व मध्य वर्ग के लोग 500 से दो हजार या एक से पांच हजार रुपये तक के पटाखें ही खरीद पाते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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