नयी दिल्ली: वोडाफोन समूह को भारती एयरटेल में अप्रत्यक्ष रुप से अपनी 4.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचनी पड़ेगी क्योंकि नए दूरसंचार लाइसेंस नियमों में दूरसंचार कंपनियों पर उसी सेवा क्षेत्र में परिचालन कर रही किसी अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों में हिस्सेदारी रखने पर पाबंदी लगाई गई है. एकीकृत लाइसेंस (यूएल) नियमों में कहा गया है, ‘‘ अत्यधिक […]
नयी दिल्ली: वोडाफोन समूह को भारती एयरटेल में अप्रत्यक्ष रुप से अपनी 4.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचनी पड़ेगी क्योंकि नए दूरसंचार लाइसेंस नियमों में दूरसंचार कंपनियों पर उसी सेवा क्षेत्र में परिचालन कर रही किसी अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों में हिस्सेदारी रखने पर पाबंदी लगाई गई है.
एकीकृत लाइसेंस (यूएल) नियमों में कहा गया है, ‘‘ अत्यधिक स्पेक्ट्रम बनाए रखने या हासिल करने की स्थिति में कोई भी लाइसेंसधारक या उसके प्रवर्तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से किसी ऐसी दूसरी लाइसेंसधारक कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं रखेंगे जिसके पास उसी सेवा क्षेत्र में ‘अत्यधिक स्पेक्ट्रम है.’’ वोडाफोन ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार किया. भारत में 2जी दूरसंचार सेवाओं के लिए 22 सेवा क्षेत्र या सर्किल हैं और दोनों ही कंपनियां सभी सर्किलों में परिचालन कर रही हैं. एयरटेल में वोडाफोन की हिस्सेदारी का मूल्य करीब एक अरब डालर है.
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