नयी दिल्ली : मोदी सरकार की नीतियों को जनविरोधी और श्रमिक विरोधी बताते हुए देश की दस ट्रेड यूनियनों – INTUC, AITUC, AIUTUC, TUCC, HMS, CITU, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC ने आज से दो दिन (8 और 9 जनवरी) के देशव्यापी हड़तालका आह्वान किया है.
वाम संगठनों से जुड़ी ट्रेड यूनियन कीइस हड़ताल में करोड़ों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. सुबह से ही देश के अलग-अलग हिस्सों में हड़ताल का असर दिखने लगा.
वहीं, खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ हड़ताल में शामिल नहीं होगी. बहरहाल, टेलीकॉम, हेल्थ, एजुकेशन, स्टील, कोल, इलेक्ट्रिसिटी, बैंकिंग, इंश्योरेंस और ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर्स हड़ताल का समर्थन कर सकते हैं.
हड़ताल की वजह से देश के कई राज्यों में श्रमिक संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान कई जगहों से झड़प की भी खबरें सामने आयी हैं. देश की राजधानी दिल्ली में भी हड़ताल समर्थकों ने पटपड़गंज इंडस्ट्रियल एरिया में प्रदर्शन किया. पश्चिम बंगाल के आसनसोल में राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गये.
हड़ताल समर्थकों ने कोलकाता सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंके और टायर जलाये. तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हड़ताल समर्थकों को जबरन हड़ताल लागू करने से रोकने की कोशिश की. इसके कारण हावड़ा, सिलीगुड़ी, वर्द्धमान, बीरभूम, उत्तर और दक्षिण 24 परगना में तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं और हड़ताल समर्थकों के बीच झड़पें हुईं.
वहीं, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने दावा किया- बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, मेघालय, कर्नाटक, मणिपुर, राजस्थान, पंजाब, गोवा और हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों में हड़ताल का पूरा असर है. उन्होंने कहा कि इस हड़ताल को कुछ राज्यों के ट्रांसपोर्ट विभाग, टैक्सी चालक और जेएनयू के छात्र भी अपना समर्थन दे रहे हैं.
INTUC से जुड़े पदाधिकारियोंने कहा है कि इस हड़ताल में किसानों और बैंक कर्मियों के भी शामिल होने की संभावना है. उन्होंने ट्रेड यूनियन कानून 1926 में संशोधन का विरोध करतेहुए कहा है कि सरकार कथित पारदर्शिता के नाम पर गलत कर रही है और इससे बंधुआ मजदूरी का खतरा पैदा होगा.
ट्रेड यूनियंस ने बड़ी पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs), महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर का निजीकरण करने की सरकार की नीति का विरोध किया है. इसमें एयरपोर्ट, टेलीकॉम, फाइनेंशियल सेक्टर को विशेषतौर पर निशाना बनाना और रेलवे को 100 पर्सेंट फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट के लिए खोलना शामिल है.
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलायी गयी हड़ताल का राज्य में कोई असर नहीं होगा. बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, मैं इस पर एक शब्द भी नहीं बोलना चाहती हूं. हमने किसी भी बंद को समर्थन नहीं देने का फैसला किया है. अब बहुत हो गया. पिछले 34 वर्षों में वाम मोर्चे ने बंद का आह्वान कर पूरे राज्य को बर्बाद कर दिया. अब कोई बंद नहीं होगा.
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