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Thursday, March 28, 2024

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में 30 फीसदी तक घटी कच्चे तेल की कीमत, भारत में 10 फीसदी ही घटे पेट्रोल के दाम!

नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भले ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही हो, लेकिन भारत में पेट्रोलियम पदार्थों का इस्तेमाल करने वाली आबादी को इसका भरपूर फायदा नहीं मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरते कच्चे तेल के दामों और यहां के पेट्रोल पंपों में मिलने वाले पेट्रोल-डीजलों की […]

नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भले ही कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही हो, लेकिन भारत में पेट्रोलियम पदार्थों का इस्तेमाल करने वाली आबादी को इसका भरपूर फायदा नहीं मिल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरते कच्चे तेल के दामों और यहां के पेट्रोल पंपों में मिलने वाले पेट्रोल-डीजलों की कीमतों के बीच भारी अंतर को देखकर आम उपभोक्ता भी यह सोचकर भौंचक्क है कि आखिर कच्चे तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरती कीमतों का फायदा यदि आम उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है, तो आखिर यह रिसकर किसके खाते में जमा हो रहा है.

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आलम यह है कि बीते करीब-करीब दो महीने के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में करीब 30 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गयी है. फिलहाल, यह 30 फीसदी घटकर करीब 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गयी है, मगर इस दौरान पेट्रोल की कीमतों में केवल सात से 11 फीसदी तक ही कटौती की गयी है.

हिंदी के समाचार पत्र नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बीते तीन अक्टूबर को कच्चे तेल की कीमत करीब 86.70 डॉलर प्रति बैरल के सर्वोच्च स्तर पर थी. फिलहाल, इसकी कीमत तीन अक्टूबर के मुकाबले करीब 30 फीसदी घटकर 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गयी है. अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इस दौरान देश में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में महज 7 से 11 फीसदी ही कटौती की गयी है.

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, तेल कंपनियां डीजल-पेट्रोल के खरीद मूल्य तय करती हैं. ये वे कीमतें होती हैं, जो तेल रिफाइनरीज पेट्रोल-डीजल के रिटेलर्स से वसूलती हैं. खरीद मूल्य संबंधित पक्ष (15 दिन) में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों, इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत, कच्चे तेल की ढुलाई, इसकी बीता और अन्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए तय किये जाते हैं. इनमें केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स और डीलरों के कमीशन मिलाकर जो कीमतें बनती हैं, उन्हीं कीमतों पर पेट्रोल-डीजल उपभोक्ताओं को प्राप्त होते हैं. ये कीमतें अब रोजाना तय की जाती हैं.

उपभोक्ताओं को कच्चे तेल में गिरावट का आंशिक लाभ ही इसलिए मिल पाता है, क्योंकि देश की तेल कंपनियां कच्चे तेल की पिछले 15 दिनों की औसत अंतरराष्ट्रीय दरों के आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं. इसलिए, हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आयी बड़ी गिरावट का फायदा आने वाले कुछ दिनों में मिलेगा. हालांकि, कच्चे तेल के मुकाबले पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम घटने का एक कारण यह भी है कि कच्चे तेल में बड़ी गिरावट के वक्त तेल कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ा देती हैं.

8 अक्टूबर से 9 नवंबर के बीच खरीद मूल्य 10 फीसदी घटे, लेकिन तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर तय हुई बेंचमार्क मूल्य और रुपये का विनिमय मूल्य 22 फीसदी घटा है. इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 22 फीसदी मजबूत हुआ. डीलरों को जिन कीमतों पर डीजल मिलता है, उसमें सिर्फ 4.5 फीसदी की ही कटौती की गयी, जबकि बेंचमार्क दरें 11.5 फीसदी गिर गया. इसका मतलब है कि तेल कंपनियों का मुनाफा प्रति लीटर पेट्रोल के लिहाज से बढ़कर 4.98 रुपये जबकि प्रति लीटर डीजल पर बढ़कर 3.03 रुपये हो गया है.

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