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भारत में महिला और पुरुष कामगारों की इतनी कम है पगार

नयी दिल्‍ली : आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक न्‍यूनतम सैलरी बढ़ाने की मांग मान लिये जाने की उम्मीद है. हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है. लेकिन, वर्ष 2019 के चुनाव से पहले इनकी डिमांड पर फैसला आने की प्रबल संभावना है. इस बीच, अजीम प्रेमजी […]

नयी दिल्‍ली : आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक न्‍यूनतम सैलरी बढ़ाने की मांग मान लिये जाने की उम्मीद है. हालांकि, इस पर कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है. लेकिन, वर्ष 2019 के चुनाव से पहले इनकी डिमांड पर फैसला आने की प्रबल संभावना है. इस बीच, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय नेे ऐसे कर्मचारियों पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिनका मासिक वेतन 10,000 रुपये से भी कम है. इनकी समस्या पर कोई विचार नहीं कर रहा.

वर्ष 2015-16 तक कई स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की इस रिपोर्ट में सरकारी रिपोर्ट और एनएसएस के आंकड़ों को भी शामिल किया गया है. ‘कामकाजी भारत की स्थिति 2018’नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्रों में सालाना मासिक वेतन वृद्धि तीन प्रतिशत या अधिक रही है.

रिपोर्ट के लेखक अमित बसोले ने कहा है कि इस पहल का मकसद जनता के बीच बेहतर समझ बनाना और ऐसे नीतिगत उपाय करना है, जिससे सभी को रोजगार और नियमित आय सुनिश्चित हो सके. रिपोर्ट कहती है कि वेतन (मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद) संगठित विनिर्माण क्षेत्र में दो प्रतिशत, असंगठित विनिर्माण क्षेत्र में 4 प्रतिशत और असंगठित सेवाओं के क्षेत्र में 5 प्रतिशत बढ़ा है. यह आंकड़ा वर्ष 2010 से 2015 के बीच का है.

10 हजार रुपये से कम है 82% पुरुषों का मासिक वेतन

भारत में 82 प्रतिशत पुरुष और 92 प्रतिशत महिला कामगारों का मासिक वेतन 10,000 रुपये से कम है. इससे पता चलता है कि भारतीयों की बड़ी आबादी को सामान्य जीवनयापन के लिए भी वेतन नहीं मिल पाता. यहां तक कि संगठित विनिर्माण क्षेत्र में 90 प्रतिशत के करीब उद्योग केंद्रीय वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन से भी कम वेतन दे रहे हैं.

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